नामूस ए रिसालत की हिफाज़त के लिए जेल जाना सियासत नहीं इबादत हैः कलीमुल हफ़ीज़

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMM) दिल्ली के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़ ने अपनी रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि चाहे वह तिहाड़ जेल हो या रोहिणी जेल या कोई अन्य जेल, उनकी दीवारें हमारे हौसले को कम नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा हम नामूस ए रिसालत   की हिफाज़त की हिमायत में और गुस्ताख़ान ए रसूल के ख़िलाफ़  आवाज़ उठाना जारी रखेंगे।

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जेल से ज़मानत पर रिहा होने के बाद कलीमुल हफ़ीज़ ने सबसे पहले अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा किया और दूसरी तरफ़ ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी, मजलिस के कारकुनों, मुल्क के करोड़ों करोड़ चाहने वालों, लीगल टीम, मीडिया और सोशल मीडिया वग़ैरह का शुक्रिया अदा किया।

याद रहे कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, दिल्ली ने 9 जून, 2022 को सुबह 11 बजे जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी और संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में अनुमति मांगी थी लेकिन दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन से कुछ घंटे गुज़ारिश को ख़ारिज  कर दिया था। जब संसद मार्ग थाने में एसीपी से मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि आप कुछ लोग थाने आ सकते हैं और यहां से आपको ज्ञापन देने के लिए भेजा जाएगा, समय दिया गया।

उन्होंने कहा कि रसूल अल्लाह (स.) की शान में गुस्ताख़ी करने वालों के ख़िलाफ़ मिल्लत ए इस्लामिया में इतना गुस्सा था कि 30,000 से 40,000 लोग जंतर मंतर पर इकट्ठा होते लेकिन सदर दिल्ली कलीमुल हफ़ीज़ ने लोगों को मना किया और बताया कि दिल्ली पुलिस ने ज़ियादती की और प्रदर्शन की इजाज़त नहीं दी। पुलिस ऑफ़िसर के साथ हुयी मीटिंग में तय पाया कि कुछ ज़िम्मेदार लोग ही संसद मार्ग थाने में जाकर ज्ञापन देंगे, दिल्ली पुलिस ने दो वाहनों के नंबर मांगे थे ताकि उन्हें आने में दिक्कत न हो। यही किया गया था।

दोपहर क़रीब 12 बजे दिन में जब सदर दिल्ली मजलिस थाने पहुंचे तो वहां पहले से ही मीडिया था और कुछ लोग पहुंच गए थे जो स्वाभाविक था क्योंकि कहीं से भी सदर के जाने की ख़बर मिलती है तो कुछ लोग मौक़े पर पहुंच जाते हैं। सदर कलीमुल हफ़ीज़ जैसे ही कार से उतरे, मीडिया ने उनको घेर लिया और दिल्ली पुलिस ने थाने के दरवाज़े बंद कर दिए। थोड़ी देर के सबको ले जाकर दिल्ली पुलिस बस में बिठाया। बस में कारकुनों की तादात बहुत कम थी। 12 बजे जब उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस थाने में गिरफ़्तार करके ले जाया गया तो कलीमुल हफ़ीज़ के समर्थक वहां पहुंच गए। यहाँ उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया।

इस दौरान एसीपी के साथ दो बार कलीमुल हफ़ीज़ और अन्य ज़िम्मेदारों के साथ मीटिंगें हुयी थीं, जिसमें यह आश्वासन दिया गया था कि सभी को शाम तक रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन अपने आक़ा के दबाव में, दिल्ली पुलिस ने दिल्ली मजलिस के अध्यक्ष सहित 30 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया, उन्हें रात भर अलग-अलग थानों के हवालात में बंद रखा और फ़िर 10 जून को क़रीब 12 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जहां अदालत ने सभी को जेल भेज दिया। कलीमुल हफ़ीज़ सहित तीन लोगों को रोहिणी जेल भेजा गया, जबकि 27 कार्यकर्ताओं को तिहाड़ जेल भेजा गया। पीर को सभी को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया क्योंकि दिल्ली पुलिस उनके ख़िलाफ़ आरोप साबित नहीं कर सकी।

मीडिया से बात करते हुए कलीमुल हफ़ीज़ ने आगे कहा कि वास्तव में यह सब हमें डराने की कोशिश थी लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं।  उन्होंने कहा कि इस सफ़र में राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के अलावा पूरी मरकज़ी मजलिस, मिल्लत इस्लामिया हिंद, हमारी कानूनी टीम, मीडिया और सोशल मीडिया, करोड़ों लोग जो हमारे साथ खड़े रहे,उनका हम दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि नामूस ए रिसालत के   हिफाज़त के लिए हमें चुनने के लिए अल्लाह का शुक्रिया और हमें फ़ख्र है कि हम गुस्ताख़ान ए रसूल ख़िलाफ़ लड़ते हुए जेल गए। हमारा यह अमल सियासत नहीं बल्कि इबादत है।