लाल किले से ब्रिटिश सरकार का झंडा उतारकर तिरंगा फहराने वाले जनरल शाहनवाज़ ख़ान को उनका ही शहर भूलता जा रहा है। कुछ वर्ष पहले जनरल शाहनवाज़ पर “स्टूडियो धर्मा” ने एक फीचर फिल्म बनाकर उनके ज़ज़बे, ईमानदारी और देश भक्ति को सलाम पेश किया था। 1947 में आज़ादी मिलने के बाद जब 1952 में जब देश में लोकतंत्र की कोपलें फूट रहीं थीं तो मादर-ए-वतन के सिपेहसालार जनरल शाहनवाज़ ख़ान को मेरठ ने सिर आंखों पर बिठाया। पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जनरल शाहनवाज़ ख़ान मेरठ के पहले सांसद बने। 1952 से 1971 तक लगातार चार बार सांसद चुने गए। जिस शहर की गली-गली में कभी शाहनवाज का नाम गूंजता था, आज उसी मेरठ शहर में आज़ाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल शाहनवाज़ ख़ान गुमनाम हैं।
रावलपिंडी में जन्मे थे जनरल साहब
मेजर जनरल शाहनवाज़ ख़ान का जन्म 24 जनवरी 1914 को रावलपिंडी, पाकिस्तान के मटौर में हुआ था। पिता झंझुआ राजपूत कैप्टन सरदार टीका खान थे। वह 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी नियुक्त हुए। आजाद हिंदुस्तान में लालकिले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर सबसे पहले तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे। लालकिले पर हर शाम होने वाले प्रकाश एवं ध्वनि शो में नेताजी के साथ जनरल शाहनवाज की ही आवाज है। 23 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। 1952 में पॉर्लियामेंट्री सेक्रेटी, डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने। 1957-64 तक खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे। शाहनवाज़ ख़ान ने लंबे समय तक विविध मंत्रालय संभाले और देश को तरक्की का तोहफा बख्शा।
जब आजादी के समय भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह हिन्दुस्तान से मोहब्बत के चलते यहां आ गए। इसके लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार को छोड़ दिया। परिवार क्या बल्कि भरापूरा परिवार-बीवी, तीन बेटे, तीन बेटियां। प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां लतीफ फातिमा को उन्होंने ही गोद लिया था। शाहरुख के पिता शाहनवाज़ ख़ान के साथ ही पाकिस्तान से भारत आए थे। बाद में उन्होंने दोनों की शादी भी कराई। 1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, इसके अध्यक्ष भी जनरल शाहनवाज़ ख़ान ही थे।
और भुला दिया गया यह क्रांतिकारी
रक्षापुरम से आगे एडब्ल्यूएचओ कॉलोनी में जनरल शाहनवाज़ ख़ान की बहू, पोते और पूरा परिवार रहता है। जनरल खान के बड़े पोते आदिल शाहनवाज़ खान कहते हैं, हमने कई बार सरकार और प्रशासन से कहा कि शहर में जनरल साहब की याद में कोई स्मारक बने, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमने ही 2010 में जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन बनाया। हर साल उनकी बरसी पर जामा मस्जिद के सामने स्थित जनरल शाहनवाज़ ख़ान की आरामगाह (कब्र) पर आयोजन करते हैं। यह दुर्भाग्य और अपमान है उस सपूत का, जिसने आजादी की लड़ाई में अपने कदम नहीं डिगने दिए। नेहरू जी ने स्वयं जनरल साहब को मेरठ से चुनाव लड़ने भेजा था, लेकिन आज शहर उन्हें भुला चुका है। तब जनरल साहब ने किराए पर मकान लेकर जनरल साहब मेरठ में रहे और चुनाव प्रचार किया था।
किंग ख़ान से रिश्ता
जनरल शाहनवाज़ ने मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां लतीफ फातिमा को गोद लिया था। शाहरुख के पिता शाहनवाज के साथ ही पाकिस्तान से भारत आए गए थे। इसके बाद उन्होंने दोनों की शादी भी कराई थी। जानकारी के लिये बता दें कि आज भी दिल्ली के लाल किले में रोज शाम छह बजे जो लाइट एंड साउंड का कार्यक्रम होता है, उसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ शाहनवाज़ की ही आवाज है।