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ग़रीब नवाज़ योजना मुसलमानों को रोज़गार योग्य कौशल में मददगार

भारत के सबसे महान सूफी-संत हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्फ ग़रीब नवाज़ को ख़ेराज-ए-अक़ीदत पेश करते हुए, उनके नाम पर रोज़गार योजना “ग़रीब नवाज़ स्कीम” का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं को रोज़गार योग्य कौशल में निपुण (हुनरमंद, माहिर) बनाना है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इस स्कीम को देश के 100 जिलों में फैले 371 ग़रीब नवाज़ कौशल केंद्रों के माध्यम से लागू किया जा रहा है।

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यह योजना 2017 में अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं की रोज़गार योग्यता पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें सशक्त बनाने की मोदी सरकार की पहल के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी। अल्पसंख्यक मंत्रालय के तत्वावधान में एक स्वायत्त निकाय मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन इस योजना को लागू करता है।

मंत्रालय प्रत्येक केंद्र को एक लाख से 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करता है और आवंटित राशि कोर्स के समय के अनुसार बढ़ती जाएगी। एमएईएफ द्वारा संचालित केंद्रों में रजिस्ट्रेशन करने वाले युवाओं को अल्पकालिक रोजगारोन्मुखी कौशल विकास पाठ्यक्रम पूरा करना होता है। ये पाठ्यक्रम युवाओं को विभिन्न रोज़गार केंद्रित कौशल सीखने में सक्षम बनाते हैं ताकि प्रशिक्षण के बाद उन्हें रोज़गार दिया जा सके।

पाठ्यक्रम पूरा करने वाले उम्मीदवारों को जीएसटी अकाउंटिंग, प्रोग्रामिंग, और अन्य रोज़गार से संबंधित क्षेत्रों जैसे व्यावसायिक कौशल के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाता है। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि बायोडिग्रेडेबल कचरे से खाद तैयार करने और सफ़ाई में नवीनतम तकनीक और मशीनों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

इन पाठ्यक्रमों में स्वास्थ्य सेवाओं, मोबाइल और लैपटॉप की मरम्मत, कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग, खुदरा प्रबंधन कार्यक्रम, मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग, सुरक्षा गार्ड ट्रेनिंग, हाउसकीपिंग में पाठ्यक्रम आदि पर सर्टिफ़िकेट कोर्सेज़ भी शामिल हैं।

भारत के मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई, पारसी और बौद्ध जैसे समुदायों से संबंधित सभी युवा ऑनलाइन फॉर्म आसानी से भरकर सर्टिफिकेट कोर्स में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उम्मीद के मुताबिक़ कौशल केंद्रों में पंजीकृत ज़्यादातर युवा, मुस्लिम हैं। नामांकित युवाओं में 90% से अधिक मुसलमान हैं।

मंत्रालय ने सुनिश्चित किया है कि प्रशिक्षित युवाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार दिया जाए। इस उद्देश्य के लिए मंत्रालय ने पैनल में शामिल प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन एजेंसियों (पीआईए) को कुल प्रशिक्षित प्रशिक्षुओं में से 70% की भर्ती करने का अधिकार दिया है।

आंकड़ों के अनुसार, MAEF ने भारत के 31 राज्यों के 1,06,600 लाभार्थियों को नौकरियों में नियुक्ति के लिए 108 पीआईए में भेजा है, जिसमें उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।

साथ ही हितग्राहियों को अधिकतम तीन माह का मासिक वज़ीफ़ा और रोज़गार मिलने के बाद अधिकतम दो माह की नियुक्ति के बाद सहायता का भुगतान भी किया जा रहा है। ये सहायता राशि सीधे उनके खातों में स्थानांतरित की जाती है।

देश के 371 केंद्रों में से कुल 9,620 प्रशिक्षुओं के आवंटन के साथ उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में कुल 65 ग़रीब नवाज़ ट्रेनिंग सेंटर खोले गए हैं। ये सेंटर नोएडा, लखनऊ, रामपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद) और शाहजहांपुर जैसे प्रमुख जिलों में हैं। भारत के अन्य प्रमुख शहर जहां ये केंद्र स्थापित किए गए हैं, उनमें महाराष्ट्र के मुंबई और नागपुर, मध्य प्रदेश में भोपाल और इंदौर, हरियाणा में मेवात और पानीपत, बिहार में पटना और किशनगंज और झारखंड में रांची और गिरिडीह हैं।

अल्पसंख्यक मामलों के केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी का कहना है कि ग़रीब नवाज़ कौशल विकास केंद्र “सशक्तिकरण केंद्र” साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के ग़रीब लोगों को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रहा है और ग़रीब नवाज़ रोज़गार योजना ऐसी ही एक विशेष योजना है।

(लेखक पत्रकार हैं और मुस्लिम स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन हैं)