नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के चर्चित लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य अभियुक्त और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से ज़मानत मिल गई है। तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में कारों से कुचले जाने से चार किसानों की मौत हुई थी जिसमें से एक कार आशीष मिश्रा की थी। उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी इस मामले की जाँच कर रही है और बीते महीने ही इस केस में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
आशीष मिश्रा की ज़मानत पर जहां विपक्षी पार्टियां पर हमलावर हो रही हैं, वहीं सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है। इसी क्रम में केरल के पूर्व डीजीपी डॉ. एनसी अस्थाना और पत्रकार वसीम अकरम त्यागी के बीच बहस हो गई।
दरअस्ल केरल के डीजीपी रहे डॉ. अस्थाना ने ट्वीट किया कि पिता जी ने इस्तीफ़ा नहीं दिया और पुत्र जी ज़मानत भी पा गए. ट्विटर पर लोगों के निरंतर भौंकने का कोई परिणाम न हुआ. वहीं पर एक प्राणी लगभग दो साल से अन्दर विश्राम कर रहे हैं. ज़मानत की अर्जी सुप्रीम कोर्ट से रद्द हो गई. जो देश के यथार्थ को नहीं समझते उन मूर्खों को क्या कहा जाए? इस ट्वीट डॉ. अस्थाना की भाषा पर पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि “आपकी समझदारी, परिपक्वता, सोच, सकारात्मकता, धैर्य, सहनशीलता, दूरदर्शिता जानकर हम कृतार्थ हुए। आप जैसे 10-12 बुद्धिजीवी देश को और मिल जाए तो समझो रामराज्य निकट ही है। धन्य है प्रभु आप जो विमर्श और संवाद को भौंकना जैसे अलंकारों से सुसज्जित कर रहे है।मेरा प्रणाम स्वीकार करें।”
त्यागी को जवाब देते हुए डॉ. अस्थाना ने कहा विमर्श के नाम पर अपने आप को इस धोखे में रखना कि उनकी बकवास की कोई हैसियत है,और भी बड़ी मूर्खता है. जो काम कानून से होना है, कानून से ही होगा, किसी के बर्राने से नहीं. फिर भी बेवजह रट लगाये रखना भौंकना ही है, बालक, वैसे ही जैसे सड़क के कुत्ते आती जाती कारों के पीछे दौड़ पड़ते हैं.
इसके बाद वसीम अकरम त्यागी ने कहा कि हे विप्रश्रेष्ठ कहां है चरण आपके। डॉ. अस्थाना सर आपकी भाषा के वाक्य विन्यास, आपका मूर्धन्य और तालव्य ज्ञान देखकर मैं घनघोर विस्मित हूं।आप कहना चाहते है कि क़ानून है इसलिए उम्मीदें और आलोचनाएँ छोड़ दें? क़ानून को कैसे नृत्य करवाया जाता है ये कौन नहीं जानता ब्रह्माण्ड में।
इसके बाद डॉ. अस्थाना ने कहा कि ठीक है, बंधु, विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था का विरोध करिये और घोर दंड के पात्र बनिये। आपके भले के लिये बता रहा हूं, व्यवस्था में कमियां हैं, लेकिन उनके निराकरण के लिये अलग व्यवस्था है। उससे बाहर निकले और एनएसए, यूएपीए, प्रिवेंटिव डिटेंशन आदि सब आतुरता से आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।