नई दिल्लीः मशहूर पत्रकार और लेखक राणा अय्यूब पर कर्नाटक पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। राना अय्यूब ने बीबीसी को एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने ने हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों को हिंदू आतंकवादी के रूप में वर्णित किया था, जिसके बाद हिंदू आईटी सेल नामक संगठन की शिकायत पर राणा अय्यूब के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
बता दें कि राणा अय्यूब नरेन्द्र मोदी सरकार और पीएम मोदी की आलोचक मानी जाती हैं। उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने के आरोप में दंड संहिता 295A के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। हुबली-धारवाड़ के पुलिस कमिश्नर लभु राम ने द टेलीग्राफ को बताया कि एक मुकदमा दर्ज किया गया है और अब हम इस मामले की जांच करेंगे।
जब कर्नाटक में हिजाब विवाद हुआ था और इसको लेकर देश-विदेश में चर्चा चल रही थी, उस वक्त राणा अय्यूब ने बीबीसी को इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि, “ये लड़कियां बहुत लंबे समय से हिजाब पहन रही हैं,यह पहली बार नहीं है तो अचानक इस मामले के लिए हिंदू आतंकवादियों का यह समूह, जो कर्नाटक के एक शिक्षा परिसर में भगवा झंडा फहरा रहे हैं? एक शिक्षण संस्थान में छात्र क्यों, पुरुष छात्र क्यों भगवा झंडा फहरा रहे हैं? इसका क्या मतलब है?”
निशाने पर हैं राना अय्यूब
बता दें कि राना अय्यूब पिछले कुछ समय से सरकार समर्थित गुटों के निशाने पर रही हैं। इतना ही नहीं अब सरकार की ओर से राना अय्यूब पर सख्ती की जा रही है। फरवरी महीने में ईडी ने राणा अय्यूब के 1.77 करोड़ रुपए अटैच कर दिए थे। राणा अय्यूब पर आरोप था कि उन्होंने कोरोना के दौरान लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए Keto app के जरिए पैसे इकट्ठा किए थे और इक्कठा किए गए रुपयों का उन्होंने सही उपयोग नहीं किया।
सितंबर 2021 में विकास नाम के व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। ईडी ने दावा किया था कि राणा अय्यूब को एफसीआरए के तहत बिना किसी मंजूरी के विदेशों से चंदा मिला जो विदेशों से किसी फंडिंग प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। राना पर हुई इस कार्रावाई के ख़िलाफ संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने भी भारत सरकार से मांग की थी कि राना अय्यूब का उत्पीड़न रोका जाए।