फादर स्टेन स्वामी: ग़रीब आदिवासियों का मसीहा जिसे विदेशों में सम्मान मिला लेकिन अपने देश में…

विक्रम सिंह चौहान

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आखिरकार फादर स्टेन स्वामी को ‘मार’ दिया गया। वे कोरोना इलाज के दौरान वेंटिलेटर पर थे। 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी देश के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे जिस पर इस सरकार ने साजिशन यूएपीए (आतंकवाद का आरोप) लगाया था। उन्हें पिछले साल झारखंड से गिरफ्तार किया गया। उन पर 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने और नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप लगाए थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से पूछताछ के दौरान कम से कम चार बार फादर स्टेन स्वामी ने कहा था कि उनके कम्प्यूटर में झूठे सबूत डाले गए हैं। लेकिन सबूत डालने वाले भला इसे कैसे स्वीकार करते? इस दौरान एक रिपोर्ट आया जिसके  मुताबिक़ अमेरिका स्थित  एक डिजिटल फोरेंसिक फर्म ने पाया था कि भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रही पुलिस द्वारा एक्टिविस्ट रोना विल्सन के एक लैपटॉप में मालवेयर का इस्तेमाल करते हुए “भड़काऊ” सुबूत डाले गए थे। इसी तरह सभी बुद्धिजीवियों के साथ किया गया।

जून 2018 से अब तक  मोदी की सरकार में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने के आरोप में 16 लोगों को जेल भेजा गया है। वकील सुधा भारद्वाज, कवि-कार्यकर्ता वरवारा राव, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, अरुण परेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस, हनी बाबू, स्टेन स्वामी, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े प्रमुख हैं। फादर स्टेन स्वामी अक्टूबर 2020 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से तलोजा जेल में बंद थे। उन्होंने अदालत से कई बार गुहार लगाई की तलोजा जेल में रहते ऐसी स्थिति में आ गया हूं कि न तो खुद से खा सकता हूं, न कुछ लिख सकता हूं, न स्नान कर सकता हूं और न ही खुद से चल-फिर सकता हूं। अदालत यह देखे कि आठ महीने में मेरी ऐसी हालत क्यों हो गयी है? मुझे जमानत दे दीजिए, मुझे रांची में अपनों के पास रहना है। लेकिन अदालत के कान में जूं तक नहीं रेंगी।

जेजे अस्पताल में रहते फादर स्टेन स्वामी की स्थिति और खराब हो गई, उन्हें कोविड हो गया। बम्बई उच्च न्यायालय थोड़ी शर्म बचाते हुए उन्हें होली फैमिली अस्पताल में एडमिट करने का आदेश दिया था, जहां उनका कोविड का इलाज चल रहा था। फादर स्टेन स्वामी  झारखंड के विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे बीते कई दशक से राज्य के आदिवासियों, वंचितों के लिए काम कर रहे हैं। एक तरह से अपना जीवन ही आदिवासियों को समर्पित कर दिया। मूल रूप से तमिलनाडु के रहनेवाले स्टेन शुरूआत में पादरी थे। बाद में आदिवासियों के हक़ के लिए लड़ने उन्होंने पादरी का काम छोड़ दिया। पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान भी उन पर मुकदमा दर्ज किया गया था। तो देखिए कैसे 84 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति से मोदी और आरएसएस डरता है औऱ उन्हें झूठे आरोप में फंसाकर जेल में सड़ाकर तिल-तिल करके मरने को विवश कर रहा दिया।

दूसरे देश में फादर स्टेन स्वामी जैसे लोगों को राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान मिलता। स्टूडेंट उनके बारे में पढ़ते। उनके कार्यों पर शोध होता,किताबें छपतीं हैं। लेकिन हमारे ‘सिस्टम’ ने एक महान इंसान को आतंकवादी बना दिया। यहां की अगली पीढ़ी उन्हें आतंकवादी के रूप में जानेगी, लेकिन हम पूरी कोशिश करेंगे उनकी सच्चाई लोगों तक जाएं। वे उसे अपने हीरो के रूप में देखें। अगर कोई 84 साल का बुजुर्ग व्यक्ति आदिवासियों की भलाई के लिए जेल की सजा काटा और उसे वहीं मार डाला गया तो वो असली हीरो ही होगा, फिल्मी नहीं।

(लेखक यूएनडीपी से जुड़े हैं, वे सोशल एक्टिविस्ट एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)