बेंगलूरु: कर्नाटक में पिछले कई महीने से अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमानों के साथ नए-नए विवाद खड़े किये जा रहे हैं। हिजाब विवाद से शुरू हुआ मामला अब मुस्लिम व्यापारियों तक पहुंच गया है। जिसे लेकर भारतीय उद्यमी और आईआईएम-बैंगलोर की अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को नसीहत दी है। मंदिर उत्सवों से मुस्लिम व्यापारियों को बाहर रखने के लिए हिंदुत्व समूहों के प्रयासों पर, बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से राज्य में बढ़ रही धार्मिक विभाजन की समस्या को हल करने का आग्रह किया है।
कॉर्पोरेट जगत में एक प्रतिष्ठित पहचान रखने वाली किरण मजूमदार शॉ ने चेतावनी दी है कि तकनीक और बायोटेक में देश का “वैश्विक नेतृत्व” दांव पर लगा है। किरण मजूमदार शॉ ने ट्विटर पर लिखा “कर्नाटक ने हमेशा समावेशी आर्थिक विकास किया है और हमें इस तरह के सांप्रदायिक बहिष्कार की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अगर आईटी/बीटी सांप्रदायिक हो गया तो भारत की बादशाहत ध्वस्त हो जाएगी। इस ट्वीट में उन्होंने मुख्यमंत्री बोम्मई को टैग करते हुए आग्रह कर कहा, कृपया इस बढ़ते धार्मिक विभाजन का हल करें।
इसके बाद एक और ट्वीट में बायोकॉन चीफ किरण मजूमदार शॉ ने लिखा कि हमारे मुख्यमंत्री बहुत प्रगतिशील नेता हैं। मुझे यकीन है कि वह जल्द ही इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि कैसे मुस्लिम विक्रेताओं को ब्लैकलिस्ट करने का अभियान कई मंदिरों के शहरों में फैल गया, जिससे कई स्थानीय व्यवसाय बंद हो गए। त्योहारों का आयोजन करने वाली कई मंदिर समितियों ने प्रतिबंधों पर निराशा व्यक्त की है।
ठुकरा दी गई विहिप की मांग
रिपोर्ट में दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के प्रबंधन समिति के प्रमुख के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने मुस्लिम व्यापारियों को बाहर रखने की विहिप की मांग को ठुकरा दिया था, लेकिन विवाद के कारण वे खुद इससे दूर रहे थे। जबकि दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे एक मुस्लिम व्यापारी ने बनवाया था।
दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में, विहिप और बजरंग दल जैसे समूहों ने दक्षिण कन्नड़ और शिवमोग्गा में मंदिर उत्सवों में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कर्नाटक सरकार ने इस सप्ताह राज्य विधायिका में एक आधिकारिक बयान में कहा कि मंदिरों के परिसर के भीतर गैर-हिंदुओं के व्यापार करने पर प्रतिबंध 2002 में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 के तहत पेश किए गए एक नियम के अनुसार है।
हालांकि, कई विक्रेताओं का कहना है कि इस नियम का इस्तेमाल केवल उन्हें बाहर निकालने के लिए किया गया है। वहीं, राज्य की तरफ से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे कि मंदिर परिसर के बाहर सार्वजनिक स्थानों पर मुस्लिम व्यापारियों पर इस तरह के प्रतिबंध न लगाए जाएं।