उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल डाॅ. अज़ीज़ कुरैशी ने मांग की है कि वक्फ की संपत्तियों को कब्जा मुक्त कराया जाए। डाॅ. कुरैशी ने यह मांग गुरुग्राम में नमाज़ को लेकर होने वाले विवाद को लेकर कही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मुसलमानों के 37 खुले स्थानों पर वहां के शासन द्वारा नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाने का कड़ा विरोध किया जा रहा है। पहले ऐसे 107 स्थान थे जहां नमाज़ पढ़े जाने की इजाज़त थी।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का नारा बुलंद करने वालों और उसका संरक्षण करने वालों से में ये पूछना चाहता हूं के अगर उनकी अंतरात्मा ज़िंदा है और वह संसार के एक महान हिंदू धर्म के मानने वाले हैं तो अपने गिरेवान में झांक कर देखें और अपनी सोई हुई अंतरात्मा को जगा कर उससे पूछे कि हरियाणा में लगभग 25000 मुसलमानों की मस्जिदें, कब्रिस्तान, दरगाहें, ईदगाहें और दूसरे धार्मिक स्थान की वक्फ संपत्ति है, जो मुसलमानों की नहीं बल्कि दूसरे धर्म के लोगों के नजायज कब्ज़े में है और लगभग इतनी ही मुसलमानों की संपत्ति पंजाब में भी गैर मुस्लिमों के क़ब्जे में है।
डाॅ. कुरैशी ने कहा हिमाचल प्रदेश में जो संपत्ति है वो इससे अलग हटकर है। अगर वाकई खुली जगह पर नमाज़ का विरोध करने वालों का ईमान, धर्म और अंतरात्मा ज़िंदा है तो उन्हें इस बात का पूरा समर्थन करना चाहिए के मुसलमानों की ये सारी संपत्ति उनको वापस की जाए और हर जगह संबंधित वक्फ बोर्ड को उसके मालिकाना हुकूक दिए जाएं। यह हिंदू धर्म के सूरमाओं के चरित्र की असली कसोटी होगी अगर वाकई वो हिंदू धर्म के महान सिंधांतों का पालन करते हैं।
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि अगर खुले स्थान पर 15 मिनट के लिए नमाज़ पढ़ने की इजाज़त देने पर किसी को कोई आपत्ती है तो आए दिन सारे देश में गणेश उत्सव, दुर्गा माता, छठ पूजा, दशहरा और अनेक धार्मिक त्योहारों पर जो सरकारी स्थानों पर दिनों और हफ्तों के लिए झांकियां लगाई जाती हैं और धार्मिक त्यौहार मनाए जाते हैं और हर सरकारी सड़क पर व चौराहों पर कई कई दिन तक कब्ज़ा करके पूजा पाठ की जाती है, ये तमाम स्थान भी इन हिंदू सूरमाओं की खानदानी या पैतृक सम्पत्ति नहीं है और ऐसी तमाम सरकारी स्थानों का इस्तेमाल करने पर भी पाबंदी लगानी चाहिए ताकि सबके साथ पूरा न्याय हो सके।