चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शनिवार को मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना से तीन प्रमुख अनुरोध किए, जिनमें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्त में सामाजिक न्याय के सिद्धांत का पालन करना शामिल है।
सीजेआई द्वारा 20.24 करोड़ रुपये की लागत से नौ मंजिला प्रशासनिक ब्लॉक की आधारशिला रखने तथा उसके बाद शहर में वाणिज्यिक अदालत परिसर का उद्घाटन करने के बाद श्री स्टालिन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए गठित कॉलेजियम कृपया यह सुनिश्चित करें कि सामाजिक न्याय के सिद्धांत के साथ-साथ नियुक्ति के लिए अन्य मापदंडों का पालन किया जाए। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि इस तरह उच्च न्यायपालिका में समावेशन के सिद्धांत को सुनिश्चित किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि दूसरा अनुरोध चेन्नई में उच्चतम न्यायालय की बेंच स्थापित करने से संबंधित है। उन्होंने कहा,”जैसा कि हम सभी जानते हैं, तमिलनाडु दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और दक्षिणी के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तथा न्याय पाने हेतु इन राज्यों को नयी दिल्ली जाना पड़ता है। इस अवसर पर मैं चेन्नई में सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ का गठन करने के लिए लंबे समय से लंबित अनुरोध का उल्लेख करना चाहूंगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरा अनुरोध है कि मद्रास उच्च न्यायालय में तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, “पहले से ही चार राज्य अर्थात्- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश-अपने संबंधित उच्च न्यायालयों में राज्य की अपनी आधिकारिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। यह राज्य के लोगों और कानूनी समुदाय का एक लंबे समय से लंबित और महत्वपूर्ण अनुरोध है।” उन्होंने कहा, “मैं राज्य के लोगों की ओर से इन अनुरोधों को रखने के लिए इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाना चाहता हूं और मुझे विश्वास है कि आप निश्चित रूप से इस सब पर अनुकूल विचार करेंगे।”
एम के स्टालिन ने कहा कि भारत में देश के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उत्कृष्ट न्यायिक प्रणाली है। संविधान के संरक्षक के रूप में, भारतीय न्यायिक प्रणाली ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और इस देश के लोगों द्वारा उच्च सम्मान दिया जाता है।