लखनऊः किसान आंदोलन को पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब के समर्थन देने के बाद अब पीस पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी इंजीनियर मोहम्मद इरफान ने भी समर्थन देने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि पीस पार्टी पहले दिन से कृषि सुधार के नाम पर बनाए गए तीनों काले क़ानूनों का विरोध करती रही है, और इन क़ानून को वापस न लिये जाने तक विरोध करती रहेगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार चंद पूंजीपतियों के हितों के मद्देनज़र देश के अन्नदाता को उसी के खेत में गुलाम बनाना चाहती है।
पीस पार्टी के नेता ने कहा कि हमारी पार्टी शांति न्याय एंव भाईचारे में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि हम हर तरह के उत्पीड़न के खिलाफ हैं। यह क़ानून अंग्रेज़ों की ग़ुलामी में लाए गए रालेट एक्ट की तरह है. यह पूंजीवाद को बढ़ावा और लोकतंत्र को खत्म करने की कवायद है। किसानों के ख़िलाफ की जा रही सरकार की इस साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा। इंजीनियर इरफान ने कहा कि अगर किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम मिल रहा होता तो वह अपनी फसल लेकर मंडी क्यों आता, लेकिन इस सरकार ने ऐसा कानून बनाया है जो मंडियों का अस्तित्व ही समाप्त करके न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ाएगा बल्कि किसानों की फसल को मनमाने ढ़ंग से खरीदने के रास्ते खोलेगा, इससे अन्नदाता का उत्पीड़न होगा।
इंजीनियर इरफान ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, देश का अन्नदाता देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन पूंजीपतियों के हाथों में खेलती सरकार किसान को उसके ही खेत में ग़ुलाम बनाना चाहती है। इंजीनियर इरफान ने कहा कि पीस पार्टी पहले दिन से किसानों की लड़ाई लड़ रही है, उन्होंने बताया कि जब यह क़ानून लाया जा रहा था तो पीस पार्टी ने इसके विरोध में उत्तर प्रदेश में हस्ताक्षर अभियान चलाया था, लेकिन सत्ता के अंहकार में चूर इस सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
पीस पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि सरकार न सिर्फ इन तीनों काले क़ानून वापस ले बल्कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए एमएसपी भी लागू करे। उन्होंने कहा कि सरकार जो कानून लेकर आई है उसने अडाणी जैसे पूंजीपतियों के यहां किसानों का भाग्य गिरवी रख दिया है। उन्होंने कहा कि फांसीवाद से पहले पूंजीवाद मज़बूत होता है, उसके मज़बूत होते ही फांसीवाद हावी हो जाता है, यह सरकार भी उसी दिशा में काम कर रही है।