नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को कहा कि उर्दू दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी भाषा है जिसकी सुगंध भारत की जड़ों में बसी हुई है और इसके शब्दों में मानवतावाद, एकजुटता, एकता और मानव कल्याण का संदेश है। डॉ निशंक ने राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिष्द की ओर से ‘इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के युग में उर्दू लेखकों की जिम्मेदारियां’ विषय आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय उर्दू वेबिनार में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि उर्दू भाषा में असाधारण सुंदरता और दिलों तक पहुंचने की क्षमता है।
उन्होंने मिर्जा गालिब की कविता का विशेष उल्लेख किया जिसमें जीवन के तथ्य हैं। उन्होंने इकबाल के प्रसिद्ध हिंदी गान सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुले हैं, इसकी ये गुलसितां हमारा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस कविता को सुनने से हमारे मन में एक सुखद अनुभूति होती है और यह हमारी मातृभूमि के लिए प्यार और लगाव के बंधन को मजबूत करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया विचारों को व्यक्त करने का एक साधन है, हमें सटीक और रचनात्मक विचारों की आवश्यकता है। अभिव्यक्ति के साधन के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए और वर्तमान में तेजी से बदलाव और विकास के साथ तालमेल रखते हुए समाज के प्रति अपने दायित्व को पूरा करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक रूप से वर्तमान के बदलावों का साथ देना हमारे लेखकों की जिम्मेदारी है। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से मान्वीय मूल्यों, वैश्विक भाईचारे के विचारों का प्रसार किया जा सकता है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जहां परिषद का बजट दोगुना से अधिक हो गया है वहीं दूसरी ओर परिषद की योजनाओं का दायरा भी व्यापक हुआ है और उनसे छात्र लाभान्वित हुए हैं। छात्रों की संख्या 16 लाख से भी अधिक हो गई है।
उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा की और कहा कि अगले वर्ष से उर्दू लेखकों को उर्दू परिषद द्वारा साहित्यिक और रचनात्मक सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अमीर खुसरो, मिर्जा गालिब, आगा हशर, राम बाबू सक्सैना और दयाशंकर नसीम जैसे उर्दू के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के नाम पर उर्दू के लेखकों और साहित्यकारों को पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।