जिस दौरान देश में सिर्फ रिया पर बात हुई, उस दौरान देश में करोड़ों नौकरियां चली गईं.

कृष्णकांत

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सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट आई है कि अप्रैल से अगस्त के बीच 2.1 करोड़ सेलरीड लोगों की नौकरी चली गई. यानी ये वे लोग हैं जो बाकायदा वेतन पर काम करते थे. इसमें औद्योगिक वर्कर से लेकर व्हाइट कॉलर जॉब वाले शामिल हैं.

अगस्त में सेलरीड जॉब की संख्या 8.6 करोड़ से घटकर 6.5 हो गई. इसके पहले अगस्त में सीएमआईई ने रिपोर्ट दी कि अप्रैल से जुलाई के बीच 1.89 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई. जो रिपोर्ट सरकार को देनी चाहिए थी वह रिपोर्ट सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इकोनॉमी (सीएमआईई) दे रही है. ये सूचना सरकार को देनी चाहिए कि जिस पार्टी ने दो करोड़ नौकरी हर साल देने का वादा किया था, उसकी सरकार ने कितनी नौकरियां छीनी हैं.

सीएमआईई के आंकड़े देखें तो हर महीने करोड़ों की संख्या में नौकरियां जा रही हैं. सरकार ने एक फर्जी टाइप के पैकेज की घो​षणा की थी, जिसका कोई असर नहीं हुआ. सरकार जो उपाय कर रही है, उस पर अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि मौजूदा आंकड़ों से ये ‘हम सभी को चौंकाना चाहिए’. सरकार एवं नौकरशाहों को इससे डरने की जरूरत है.

रघुराम राजन का मानना है कि अर्थव्यवस्था की ये चुनौती सिर्फ कोरोना वायरस और लॉकडाउन से हुए नुकसान को ठीक करने के लिए नहीं है, बल्कि पिछले 3-4 साल में उत्पन्न हुईं आर्थिक समस्याओं को ठीक करना होगा. जिस तरह से स्थिति खराब हो रही है, जब तक कोरोना काबू में आएगा, अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी.