ग़रीबों के लिये मसीहा हैं डॉ. नूरी परवीन, MBBS होने के बावजूद मात्र दस रुपये में करतीं हैं इलाज

कडप्पाः ऐसे समय में जब मोटी फीस अदा करके चिकित्सा के क्षेत्र में आने वाले मेडिकल छात्रों का लक्ष्य छह अंकों का वेतन अर्जित करना है या अपना कोर्स पूरा करने के बाद विदेश में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करना है, तब आंध्र प्रदेश की एक डॉक्टर ने एक समाज में एक मिसाल क़ायम की है। कडप्पा जिले की 28 वर्षीय डॉक्टर डॉ. नूरी परवीन, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों का सिर्फ 10 रुपये फीस लेकर चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं। इतना ही नहीं मात्र दस रुपये न्यूनतम परामर्श शुल्क के अलावा, अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए इस डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों से मात्र 50 रुपये बेड का चार्ज लेतीं हैं।

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कौन हैं डॉक्टर परवीन

मात्र दस रुपये फीस लेकर लोगों का इलाज करने वाली डॉक्टर नूरी परवीन आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा से हैं। वे एक मध्यम वर्गीय परिवार जन्मीं, उन्होंने फातिमा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस सीट हासिल करने के लिए प्रतियोगी परीक्षा पास कर की। मेडिकल कॉलेज से पास होने के बाद उन्होंने अपने राज्य में चिकित्सा देखभाल में सुधार के लिए काम करने का फैसला किया। डॉक्टर परवीन कहतीं हैं कि  “मैंने अपना क्लिनिक जानबूझकर कडप्पा के एक गरीब इलाके में ऐसे लोगों के लिए खोला है जो महंगा इलाज नहीं करा सकते हैं,” उन्होंने कहा “मैंने अपने माता-पिता को बताए बिना ही अपना क्लीनिक शुरू किया। लेकिन जब उन्हें नाममात्र की फीस वसूलने के मेरे फैसले के बारे में पता चला तो वे बेहद खुश हुए और मुझे दुआएं दीं,”

डॉ. परवीन को ‘मदर टेरेसा ऑफ कडप्पा’ के नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने जरूरतमंदों की मदद करने और मानवता की सेवा के लिए दस रुपये फीस लेकर लोगों का इलाज करना शुरु किया है। डॉक्टर परवीन ने सात फरवरी, 2020 को अपनी इस पहल शुरूआत की थी। लेकिन कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारण उन्हें अपना क्लिनिक बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।  हालांकि, एक सप्ताह के भीतर, उन्होंने अपने क्लिनिक को फिर से खोलने का फैसला किया, ताकि कोरोना संकट के दौरान लोगों की सेवा की जा सके। डॉक्टर परवीन ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने और डॉक्टरों को प्रेरित करने के लिए सुविधाओं को उन्नत करने की सख्त आवश्यकता है।

मां बाप ने किया प्रेरित

डॉ. परवीन ने इस पहल का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। उन्होंने कहा कि “मेरी परवरिश ही इस तरह हुई थी। मेरे माता-पिता ने मुझे समाज सेवा की भावना से प्रेरित किया। उन्होंने तीन अनाथ बच्चों को गोद लेकर और उनकी शिक्षा की व्यवस्था करके हमारे लिए एक मिसाल कायम की।” हर दिन 40 से अधिक मरीज़ उसके क्लिनिक पर जाते हैं और बहुत ही सस्ते में अपना इलाज कराते हैं। आम तौर पर जब निजी डॉक्टर मरीजों से 50 से 200 प्रति विजिट का वसूलते हैं, तब डॉ परवीन गरीबों और वंचितों के लिए आशा की किरण बन गईं हैं। डॉ. परवीन बताती हैं कि “हमारे पास आने वाले ज्यादातर मरीज कुपोषण और कमजोरी से पीड़ित हैं।”

डॉक्टर नूरी परवीन  मनोविज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन करने की योजना बना रही है और जरूरतमंद हर मरीज को सेवाएं देने के लिए एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित कर रही है। डॉक्टर नूरी बताती हैं कि  “एक न्यूरो केस था जिसका मैंने एक बार इलाज किया था, जब वह मेरे पास आया, तो उसे चलने के लिए अपने बच्चों के सहारे की जरूरत थी। ठीक एक महीने के बाद, वह अपने दोनों पैरों पर चलते हुए लौटा, जिसके बाद उसने मुझे धन्यवाद किया। उस मामले ने मुझे वास्तव में बहुत खुश किया।

डॉ. नूरी का क्लिनिक एक अच्छी तरह से सुसज्जित क्लिनिक है जिसमें एक लैब, तीन रोगी बेड और एक फार्मेसी है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामूमी फीस पर अस्पताल चलाना संभव है, तो उन्होंने कहा, “मुझे जो दवाइयां मिलती हैं, उससे कमिशन मिलता है, साथ ही मेरे माता-पिता जब भी जरूरत होती है, मेरी सहायता करते हैं”।

डॉ. परवीन ने गरीबों के बीच शिक्षा और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने के लिए दो सामाजिक संगठन शुरू किए, ये संगठन-प्रेरक स्वस्थ युवा भारत- शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में बच्चों और युवाओं को शिक्षित करने और प्रेरित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कराते हैं। साथ ही उन्होंने सामाजिक कार्य करने के लिए अपने दादा की याद में नूर चैरिटेबल ट्रस्ट की भी स्थापना की। ताकि ग़रीबों की सस्ता इलाज मुहैय्या किया जा सके।