नई दिल्ली: हरियाणा के भिवानी में नासिर और जुनैद की हत्या करने तथा जलाने के मामले में कांग्रेस के नर्म रुख से नाराज़ कांग्रेस नेता डॉ मेराज हुसैन ने राजस्थान के भरतपुर में पीड़ित परिवार से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। आपको बता दें कि राजस्थान के भरतपुर से नासिर और जुनैद का अपरहण कर हरियाणा में लाकर हत्या कर दिया गया साथ ही एक वाहन में दोनों की जली हुई लाश बरामद हुई। मामले के पीछे हरियाणा के कथित गौरक्षा के नाम पर संगठन चलाने वाले मोनू मानेसर का नाम सामने आ रहा है, जो अभी तक फ़रार है।
भरतपुर में पीड़ित परिवार से मुलकात करने पहुंचे डॉ मेराज हुसैन ने कहा, “जुनैद और नासिर के परिवार से मुकालात हुई और वो बेहद घबराये हुए हैं और ये वक़्त है देश का प्रत्येक नागरिक पीड़ित परिवार के पक्ष में खड़ा रहे वरना इंसाफ से सब का भरोसा उठ जाएगा”। राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए हुसैन ने कहा कि गहलोत सरकार जितनी तत्परता कन्हैया लाल जी के मामले में दिखाई वो तत्परता नासिर-जुनैद के मामले में क्यों नज़र नहीं आती?
हुसैन आगे कहते हैं, “कांग्रेस के राहुल और प्रियंका हाथरस पहुंच जाते हैं, आगरा पहुंच जाते हैं लेकिन जब मुसलमानों की बात आती है तो सांप सूंग जाता है। क्या जुनैद नासिर भारत जोड़ो की परिकल्पना में शामिल नहीं हैं? क्या इसी तरह नफ़रत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे? पता नहीं क्यों राहुल जी और प्रियंका जी की संवेदना मुसलमानों के लिए मर जाती है? क्या हमारी जान इतनी सस्ती है?”
उन्होंने इस्तीफ़ा देते हुए कहा, “अगर मुझे मेरे समाज की हत्या और नरसंहार पर चुप रहना है तो मैं कांग्रेस में एक पल भी नहीं रुक सकता। मेरे नेता अहमद पटेल जी ने मुझे हमेशा अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना सिखाया और मैं उनके आदर्शों को धोखा नहीं दे सकता। मैं आज पार्टी से सभी तरह के संबंध खत्म करता हूँ और समाज में फैले इस नफरत के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए कांग्रेस पैरों में बेड़ियां हैं”
डॉ मेराज हुसैन भारत सरकार में फ़िल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य रहे थे साथ ही उन्हें अहमद पटेल का खास माना जाता है। पिछले वर्ष उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में AICC के पर्यवेक्षक थे साथ NSUI और युथ कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहे। छात्र नेता के रूप में राजनीतिक पारी शुरू करने वाले हुसैन, अहमद पटेल के सिपेसालर तक का सफ़र तय किया।
कांग्रेस के बाद किसी दल में शामिल होने के सवाल पर हुसैन कहते हैं, “ये इस्तीफा किसी दल में शामिल होने के लिए नहीं बल्कि अन्याय के ख़िलाफ़ हैं जिसपर कांग्रेस भाजपा के साथ नज़र आती है। आगे क्या फैसला लेना है उसपर समाज के लोगों से बात करके तय करेंगे।