लखनऊ/नई दिल्लीः गोरखपुर अस्तपताल त्रासदी के हीरो डॉक्टर कफ़ील ख़ान ने राजनीति में जाने की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि वह एक डॉक्टर हैं और ऐसे ही बने रहना चाहते हैं। बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश क बाद उनके ऊपर से रासुका हटाया गया था। वे यूपी की मथुरा जेल में बंद थे। अदालत ने उनकी तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में उनका भाषण नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय अखंडता का आह्वान करने वाला था।
समाचार ऐजंसी पीटीआई के मुताबिक़ डॉक्टर कफील ख़ान ने कहा कि “किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे”। उन्होंने कहा कि “मैं एक डॉक्टर हूं और वही रहना चाहूंगा,” उन्होंने बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने और पीड़ितों की मदद करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जब एक सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उनकी रिहाई में देरी हुई थी, तो यह आशंका थी कि उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें किसी और मामले में फिर से फंसाने की तैयारी कर रही थी।
उन्होंने कहा, “इसी आशंका के चलते कि मुझे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसी अन्य मामले में फंसाया जा सकता है, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मानवीय आधार पर मेरी मदद की थी,” डॉ. खान ने कहा कि प्रियंका गांधी के साथ राजनीति के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है, न ही उन्हें कांग्रेस नेता से कोई संकेत मिला। कफील ने कहा कि “जैसा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और मथुरा से भरतपुर की दूरी सिर्फ 20 मिनट की है, प्रियंका गांधी ने मुझे भरतपुर आने का प्रस्ताव दिया”। उन्होंने कांग्रेस महासचिव को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह राजस्थान में उन्हें “सुरक्षा” मिलने के कारण हुआ।
डॉ कफील खान ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है जिसमें उनसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में फिर से अपने पद पर बहाल करने का आग्रह किया गया है ताकि वे लोगों की सेवा कर सकें। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में काम करने वाले डॉक्टर खान पहली बार 2017 में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कई बच्चों की अस्पताल में मौत होने के बाद सुर्खियों में आए।
डॉक्टर कफील खान को आपातकालीन ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था के लिए बच्चों के लिए एक रक्षक कहा जाता था। हालांकि, बाद में, उन्हें नौ अन्य डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ सदस्यों के साथ कार्रवाई का सामना करना पड़ा, जिनमें से सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
कफील खान को इस साल जनवरी में फिर से नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (सीएए) विरोध प्रदर्शन के दौरान एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एक सितंबर को उनकी रिहाई के आदेश के बाद, वे देर रात मथुरा जेल से बाहर आए।