सोशल मीडिया पर एक फर्जी जानकारी तेज़ी से वायरल की जा रही है कि माइनॉरिटी स्टेटस वाले संस्थान आरक्षण नही देते हैं. जबकि इनमें भी आरक्षण की ऊपरी लिमिट 50 फीसद है. चाहे वो किसी भी धर्म का संस्थान हो. जामिया मिल्लिया इस्लामिया. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी. सेंट स्टीफंस कॉलेज. श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज. इन सबमें कॉमन क्या है? ये सभी माइनॉरिटी संस्थान हैं. सीधे शब्दों में, इन संस्थानों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को एडमिशन में आरक्षण मिलता है. माइनॉरिटी कौन? अपने देश में मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध.
कैसे बनता है कोई भी माइनॉरिटी संस्थान?
भारत का संविधान- उसका तीसवां अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को ये हक़ देता है कि वो अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर सकें. स्कूल, कॉलेज, और यूनिवर्सिटी. ये कानून गारंटी देता है कि सरकार इन संस्थानों को फंड देने में कोई भेदभाव नहीं करेगी. नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट के तहत किसी भी राज्य की जनसंख्या के हिसाब से जो भी माइनॉरिटी हों, वो अपने शैक्षणिक संस्थान शुरू कर सकते हैं.
जैसे पंजाब में सिख, नगालैंड में ईसाई, जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. दूसरे राज्यों में नहीं हैं. ऐसे में बहुसंख्यक लोगों को अपने राज्य में माइनॉरिटी संस्थान खोलने की इजाज़त नहीं है. लेकिन कोई भी ऐसा संस्थान शुरू करने, या उसके लिए माइनॉरिटी स्टेटस मांगने से पहले दो शर्तें है जो पूरी करनी ज़रूरी होती हैं. जो भी अल्पसंख्यक समुदाय कॉलेज/यूनिवर्सिटी शुरू करना चाहता है, उसे ये साबित करना होगा कि वो धर्म या भाषा के आधार पर एक अल्पसंख्यक समुदाय है. जिसके लिए माइनॉरिटी स्टेटस मांगा जा रहा है, वो संस्थान उसी अल्पसंख्यक समुदाय के द्वारा शुरू किया गया है.
माइनॉरिटी संस्थानों के क्या अधिकार होते हैं?
ऐसे कॉलेज या यूनिवर्सिटी जो अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए हैं, उनको छूट होती है कि अपनी शर्तों के मुताबिक़ स्टूडेंट्स को एडमिशन दे सकें. लेकिन इसमें एक तय संख्या में नॉन-माइनॉरिटी यानी बहुसंख्यक समुदाय के स्टूडेंट्स का होना भी ज़रूरी है. कोई भी माइनॉरिटी संस्थान पूरी तरह से अल्पसंख्यकों के लिए रिजर्व नहीं किया जा सकता. अधिकतम 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जा सकती हैं. संविधान के अनुच्छेद 15, जिसमें आरक्षण की बात कही गई है, के अनुसार इन संस्थानों पर जाति-आधारित आरक्षण लागू करने की कोई बाध्यता नहीं है.
कितने माइनॉरिटी संस्थान हैं देश में?
2019 में लोकसभा में उठे एक सवाल के जवाब में बताया गया था कि अभी तक तकरीबन 13,555 शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जिनको माइनॉरिटी स्टेटस दिया गया है. इनमें तकरीबन 26.45 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं. 2011 में माइनॉरिटी स्टेटस मिलने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी सिर्फ़ 50 फीसद सीटें मुस्लिम कैंडिडेट्स के लिए आरक्षित कर दी हैं. बाक़ी के 50 फ़ीसद बहुसंख्यक कैंडिडेट्स के लिए है
माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर बड़ी बहस
माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर बड़ी बहस AMU में हुई थी. जब ये दावा किया गया था कि AMU एक माइनॉरिटी संस्थान नहीं है. 1875 में मदरसातुल उलूम के नाम से शुरू हुआ संस्थान बाद में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना गया. और 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बना. अज़ीज़ बाशा वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस (1968) में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि AMU को ब्रिटिश संसद ने स्थापित करवाया था. मुस्लिमों ने नहीं. इसलिए उसे माइनॉरिटी स्टेटस नहीं मिलना चाहिए. 1981 में भारत की संसद ने AMU अमेंडमेंट एक्ट पास किया, जिसमें ये स्वीकार किया गया कि AMU मुस्लिमों ने ही स्थापित किया था. AMU के नाम में मुस्लिम ज़रूर है, लेकिन यहां मुस्लिमों के लिए कोई रिजर्वेशन नहीं है. यहां सिर्फ प्रेफरेंस दी जाती है, लोकल कैंडिडेट्स को.