गिरीश मालवीय
जगह जगह से खबरे आ रही है कि गुजरात के प्रवासी मजदूरों को घर जाने से रोका जा रहा है पूरे देश में हर राज्य के मजदूरों को जब सही सलामत उनके घर पहचाने की जिम्मेदारी जब केंद्र सरकार उठा रही है तो सिर्फ गुजरात से पलायन करने वाले यूपी बिहार उड़ीसा और झारखंड के मजदूरों को क्यों रोका जा रहा है? इस बारे में पूछताछ करने पर प्रशासनिक कारण बता कर पल्ला झाड़ लिया जाता है पर इसकी पीछे की असली वजह कोई नहीं बता रहा है?
देवेश्वर द्विवेदी ने भी अपनी वाल पर लिखा ‘गुजरात से यूपी के भूखे-प्यासे मजदूर अपने गृहराज्य के लिए निकले। देह झुलसाती गर्मी में नॉन एसी बस में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय किया और यूपी सरकार ने उन्हें राज्य में घुसने से रोक दिया। भूख-प्यास और गर्मी से बेहाल मजदूर वापस गुजरात लौटा दिये गए’. क्या आप विश्वास कर सकते हैं, कि सैकड़ों जिंदगियों के साथ इस डिजिटल युग में भी इतना वीभत्स मजाक किया जा सकता है? क्या यह मानना संभव है, कि गाजे-बाजे के साथ अपने घर लौट रहे मजदूरों की सूचना यूपी सरकार को नहीं रही होगी? ऐसी चूक हो भी गई, तो क्या वे नागरिक अपने घर पहुँचने की पात्रता खो देते हैं?
द्विवेदी द्वारा बयां की गई इस घटना के बारे में पढ़कर बहुत गुस्सा आया पर लगा कि ऐसी एकाध घटना हुई होगी लेकिन जब आज लोकल अखबारों में बड़े पैमाने पर इस तरह की खबर देखि तो माथा ठनक गया. NDTV लिख रहा है कि यूपी बिहार के मजदूरों से भरी बसों को वड़ोदरा में वाघोडिया के पास हलोल चेक पोस्ट पर रोका गया, भास्कर की खबरे बता रही है मध्ययप्रदेश की सीमा में पिटोल पर भी उन्हें रोका गया, जो आगे निकल गए थे उन्हें फिर उत्तर प्रदेश से पहले मध्यप्रदेश की झांसी बॉर्डर पर भी उन्हें बसों से उतार दिया गया. हर तरफ से यही खबरे है कि गुजरात से उत्तर प्रदेश जा रही प्रवासी मजदूरों की बसों हर राज्य की सीमा पर रोका जार रहा है सीमा पर आगे जाने से रोक दिया गया जिससे भड़के प्रवासी मजदूर पुलिस पर पथराव तक कर रहे है.
आजतक वालो ने मध्यप्रदेश बॉर्डर पर झाबुआ एएसपी विजय डावर से पूछा कि यूपी के मजदूरों को क्यों एमपी के रास्ते नहीं आने दिया जा रहा है. इस पर अफसरों ने खुद ही कबूल लिया कि यूपी के मजदूरों के लिए उनके पास बसें उपलब्ध है लेकिन उनको बॉर्डर से वापस गुजरात की गोधरा पुलिस या उनके अधिकारियों के हवाले करने के लिए. हर तरफ से यही खबरे है कि गुजरात से उत्तर प्रदेश जा रही प्रवासी मजदूरों की बसों हर राज्य की सीमा पर रोका जार रहा है सीमा पर आगे जाने से रोक दिया गया जिससे भड़के प्रवासी मजदूर पुलिस पर पथराव तक कर रहे है.
साफ़ दिख रहा है कि गुजरात के उद्योगपतियों की तगड़ी लॉबी के दबाव में आकर ये कदम उठाए जा रहे हैं. गुजरात में स्थानीय लेबर इन उद्योगपतियों को बहुत महंगी पड़ती है इसलिए बड़े गुजराती उद्योगपति चाहते है कि ये सस्ते यूपी बिहार उड़ीसा से आए प्रवासी मजदुर अपने गाँव, अपने घर ही न पुहच पाए! और उन्हें गुजरात में ही रोक कर रखा जाए। यह बहुत ही घृणित तरीका है जो इन मजदूरों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)