सैय्यद इज़हार आरिफ
दिलीप कुमार: इनका प्रेम प्रसंग एक मिसाल था, गरिमा पूर्ण था जिसमे प्रेम के सभी रंग शामिल थे लड़ाई , दोषारोपण और प्रेम प्रतिद्वंदी लेकिन इसके बावजूद ये कहानी वास्तव में लोगों के दिलो झिंझोड़ देती है। किशोर कुमार के साथ शादी हो जाने के बाद उन्हें कैंसर के इलाज के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा वहां से वापिसी पर किशोर लेने नहीं आये , अपनी बहन के घर रही और मृत्यु से कुछ समय पहले दिलीप कुमार को बुलवा भेजा। जब दिलीप आये तो उनसे कहा के मैं तुम्हारे साथ एक फिल्म और करना चाहती हूँ। खातिर जमा रखो , तुम बहुत जल्दी अच्छी हो जाओगी और फिर हम देर सारी फ़िल्में साथ साथ करेंगे। काफी देर तक हाथ पकड़ कर सहलाते रहे मनो ढाढस बंधा रहे हों। यही उनकी आखिरी मुलाक़ात थी।
राजकपूर : एक खिलंदड़े स्वभाव के थे लेकिन नरगिस के प्रेम में इस क़दर मुब्तिला हुए के कहा करते थे मेरे बच्चो की माँ ” कृष्णा कपूर” है जबकि मेरी फिल्मो की माँ ” नरगिस” है। कहीं कोई मनमुटाव नहीं , कोई झगड़ा नहीं लेकिन रूस का आयोजन आधे में ही छोड़कर नरगिस कुछ बहाना बनाकर वापिस आ गयी और अंडरग्राउंड हो गयी। पता ही नहीं चला कहा है। मगज़ीन्स में अफवाहें उडी के “अनवर हुसैन” नरगिस के भाई ने उन्हें ये कहकर बहका दिया था के राजकपूर अपने फायदे के लिए तुम्हारा इस्तेमाल कर रहे है। तभी अचानक एक दिन नरगिस राजकपूर के प्राइवेट फार्म हाउस पहुंची तो सिक्योरिटी गार्ड ने अदब से सलाम तो किया लेकिन गेट नहीं खोला। गेट खोलने के लिए कहा जाने पर वो माफ़ी मांगने लगा और बोला आज गेट नहो खोल सकता , मेरी मजबूरी समझिये ! नरगिस ने कसकर डांटा और राजकपूर ने कहकर नौकरी से निकलवाने की धमकी दी तो बहुत निरष हो गया लेकिन गेट नहीं खोल रहा था। अंत में नरगिस ने प्यार से समझाया के मैं किसी से भी इस बात का ज़िक्र तक नहीं करुँगी बस इतना बता दो के अंदर राज के साथ कौन है। “मीना कुमारी ” गार्ड ने धीरे से कहा उसके बाद पत्रकारों ने पूना रोड से नरगिस को पागलों की तरह गाड़ी ड्राइव कर बम्बई लौटे देखा और कुछ दिनों में ही उन्होंने सुनील दत्त से शादी का ऐलान कर दिया। राजकपूर इस दुःख में छह महीने तक होटल में शराब के नशे में डूबे रहे।
तीसरे स्टार थे लवर बॉय की इमेज वाले ” देवानंद ” जिन्हें पहले फिल्म उस ज़माने की मशहूर ओ मारूफ हेरोइन , सुंदरता की प्रतिमूर्ति सुरैय्या मिली। सेट पर उन्होंने डायरेक्टर से कहा ये लड़का काफी देर से मुझे घूरे जा रहा है इसे सेट से बाहर निकलवाओ ! डायरेक्टर ने बड़े विनीत शब्दों में कहा ” ये इस फिल्म का हीरो है ” बाद में दोनों की लवर केमिस्ट्री ने नए उन्वान लिखे। मामले में बाधक रही सुरैय्या के साथ ही रहने वाली उनकी नानी जिन्हें ये रिश्ता कतई पसंद न था और सुरैय्या अपनी नानी की बहुत फरमाबरदार थी। इसी बीच फिल्म बाज़ी में देवानंद को कल्पना कार्तिक मिली और अपने स्वभाव के अनुसार देव उन्हें दिल दे बैठे। उनका असली नाम ” मोना सिंह” है। उन्होंने सिर्फ छह फिल्मे की बाज़ी(1951 ) , आँधियां, हमसफ़र, टैक्सी ड्राइवर, हाउस नंबर 44 और नौ दो ग्यारह (1957 ।
सुरैय्या से प्रगाढ़ प्रेम, कल्पना से शादी के बाद भी देवानंद का रूटीन इसी प्रकार चलता रहा और उनकी फ़िल्मी जोड़ी के नायिका में वहीदा रहमान टॉप पर रही , गाइड में कोई सहायिका थी नहीं। प्रेम पुजारी में उन्होंने वहीदा के रोल को कांट छांट कर छोटा करते हुए नए हेरोइन “ज़ाहिदा” को समानांतर रोल दे दिया। तभी उन्होंने एक नयी हेरोइन ज़ीनत अमान” ढूंढ ली थी जो सुन्दर भी थी और वेस्टर्न शौक वाली भी। उसे दिल बैठे। उन्होंने खुद एक स्टेटमेंट में बताया के वो एक राजकपूर की पार्टी में गए जहाँ उन्होंने ज़ीनत को राजकपूर के बहुत क़रीब देखा। दोनों खूब घुल मिल रहे थे तो इस तरह ज़ीनत भी बाहर हो गयी। अगली हेरोइन थी “टीना मुनीम ” फिल्म देस परदेस। काफी काम उम्र थी लेकिन इससे पहले कुछ शुरुआत हो पाती राजेश खन्ना और संजय दत्त भी अपने अपने दावे लेकर सामने आ गए और फिर हुआ “गोली कांड” जिसमे रात में संजय दत्त ने चिल्ला चिल्ला का गालिया देते हुए राजेश खन्ना के घर पर फायरिंग की। सुनील दत्त के अभिन्न मित्र और पडोसी संजय खान उन्हें समझा बुझा कर ले गए। लेकिन ये ज़रूर रहा के देवानंद का मन दिलीप कुमार के प्रति कभी साफ नहीं रहा क्योंकि देव सोचते थे दिलीप कुमार ही सुरैय्या के घर उनकी नानी से देव की बुराइयां करके उनकी शादी सुरैया से नहीं होने देना चाहते है। लेकिन ये बात उन्होंने कभी सार्वजनिक नहीं की तो गांठ यूँ ही बंधी रह गई । है ये ज़रूर है के नानी के इंतेक़ाल के बाद भी देव ने सुरैय्या को कहा था के नानी तो अब अब रही नहीं। चलो अब हम शादी कर लेते है, जिसे सुरैय्या ने हंसकर टाल दिया।