नोमान अहमद खान
नई दिल्लीः कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब मामले पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी । इसमें 26 याचिकाएं डाली गई थी। जिसका फैसला गुरुवार यानी आज सुबह 10:30 बजे आया। जिसमें दोनों जजों के फैसले अलग-अलग आए, जिसकी वजह से अब इसका फैसला बड़ी बेंच करेगी।
जिस वक्त यह फैसला आया उस वक्त कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था । इस फैसले में जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए हिजाब पर प्रतिबंध को सही माना। हिजाब बैन के खिलाफ याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब के प्रतिबंध को गलत ठहराया है । जस्टिस धूलिया ने कहा कि यह दरअसल पसंद और अनुच्छेद 14 और 19 का मामला है। उन्होंने कहां कि बालिकाओं की शिक्षा अहम है, वह बहुत दिक्कतों का सामना करके पढ़ने आती हैं और और कहा कि हाईकोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था।
बता दे, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 10 दिन सुनवाई की, इसके बाद 22 सितंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया। तभी से हिजाब मामले पर सबकी नज़र सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर थी, लेकिन दोनों जजों की अलग-अलग राय के कारण यह आगे बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है।
तीन जजों की बेंच होगी या पांच जजों की बेंच, इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस करेंगे। तो वहीं जब तक बड़ी बेंच का फैसला नहीं आता , तब तक कर्नाटक के स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध रहेगा। और अब इस हिजाब विवाद के फैसले के लिए इंतजार और बढ़ गया है।
कर्नाटक सरकार ने पांच फरवरी 2022 को आदेश दिया था कि स्कूल-कॉलेजों में ऐसे कपड़े पहन कर नहीं आ सकते जिससे स्कूल-कॉलेजों में व्यवस्था बिगड़े । वहीं इस फैसले को लेकर मुस्लिम लड़कियों ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कक्षाओं में हिजाब पहनकर बैठने की अनुमति मांगी थी । 15 मार्च को हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है । इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी थी ।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था । हाईकोर्ट ने कुरान की गलत व्याख्या की । वहीं बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने हिजाब को गैर जरूरी मुद्दा बनाया।