दिल्ली दंगा: बुज़ुर्ग महिला के घर में आगज़नी करने वाला दिनेश यादव दोषी करार, अब इस तारीख़ को होगी सज़ा

फ़रवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पहली बार एक आरोपी को अदालत ने दोषी करार दिया है। दिनेश यादव नामी दिल्ली दंगों के इस गुनहगार की सज़ा का ऐलान 22 दिसंबर को होगा। यह मामला नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के गोकलपुरी इलाके का है। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक दंगों के दौरान 25 फरवरी की रात मनोरी नाम की एक 73 साल की बुजुर्ग महिला के घर में करीब 150 से 200 दंगाइयों ने जबरन घुसकर आगजनी की थी। साथ ही घर में मौजूद जरुरी सामान और भैंस की लूट कर ली थी। दिनेश यादव आगजनी करने वाली भीड़ का सक्रिय सदस्य था। उसके खिलाफ गोकलपुरी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

दिल्ली पुलिस ने दिनेश यादव को 8 जून 2020 को गिरफ्तार किया था। अदालत ने तीन अगस्त 2021 को आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए थे। मामले की सुनवाई कर रही कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट की कोर्ट ने आज दिनेश यादव उर्फ माइकल को अवैध रूप से उग्र भीड़ के साथ मिलकर दंगा करने, आगजनी करने, डकैती और घर में जबरन घुसने के लिए IPC की धारा 149 समेत कई धाराओं में दोषी ठहराया है। इससे पहले दिल्ली दंगो को लेकर कोर्ट ने एक और फैसला सुनाया था। जिसमें आरोपी को बरी कर दिया गया था।

दिल्ली हिंसा मामले में दिनेश यादव दोषी करार

बता दें कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध-प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने 750 से ज्यादा मामले दर्ज किए थे। दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। वहीं सैकडों लोग घायल हो गए थे। इनमें आम लोग और पुलिसकर्मी भी शामिल थे। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में आरोपी दिनेश यादव को आज कड़कड़डूंमा कोर्ट ने दोषी ठहराया है। 22 दिसंबर को उसकी सजा का ऐलान किया जाएगा। दिनेश को दिल्ली दंगों के दौरान एक महिला के घर में आग लगाने का दोषी पाया गया है।

महिला के घर में आग लगाने का आरोप

कोर्ट ने दिनेश यादव पर 3 अगस्त 2021 को आगजनी और लूटपाट मामले में आरोप तय किए थे। 8 जून 2020 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।  अपने बचाव में उसने कहा था कि पुलिस के पास उस घटना की CCTV फुटेज नहीं है। इसके साथ ही उसने FIR और गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी की भी बात कही थी। उसने गवाहों पर भी शक जताया था। वहीं पुलिस की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई थी कि दंगों के दौरान पुलिस शांति कायम कराने में लगी हुई थी। दंगे थमने के बाद कर्फ्यू लग गया था इसी वजह से FIR दर्ज करने में थोड़ा टाइम लग गया। पुलिस ने कहा था कि दंगा ममाले में पीड़ित के साथ ही कई और गवाह भी हैं।