दिल्ली दंगों के मामले में अदालत का चेहरा? अदालत कहती है की जिस ह्वाटसप ग्रुप में लोगों ने लोगों की हत्या करने की बात कही, लोगों को उकसाया, वह सब साजिश नहीं था. दिल्ली दंगे के दौरान गोकलपुर इलाके में दो भाइयों सहित छह लोगों की हत्या कर शव नाले में फेंकने के छह मामलों में कड़कड़डूमा कोर्ट ने 12 लोगों के खिलाफ हत्या समेत कई आरोप तय कर दिए हैं। जबकि दो अन्य लोगों के खिलाफ चोरी का सामान रखने का आरोप तय किया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट के कोर्ट ने सभी आरोपितों को साजिश रचने के आरोप से मुक्त करते हुए कहा अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत एक ह्वाटसप ग्रुप में केवल एक आरोपित सदस्य हैं, बाकी नहीं। जज साहब अपने आदेश में लिखते हैं, इसमें हुए चैट से संकेत मिलते हैं कि ह्वाटसप ग्रुप के सदस्य हमले से खुद को बचाने के लिए अपनी तैयारी कर रहे थे और एक-दूसरे की मदद मांग रहे थे। यह कहीं प्रतीत नहीं होता कि ह्वाटसप ग्रुप के सदस्यों ने एक मानसिकता से किसी दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला करने, उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और उन्हें मारने की योजना बनाई।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे के दौरान फरवरी 2020 को गोकलपुरी इलाके में युवक मुरसलीन, आस मुहम्मद, मुशर्रफ, आमीन, आमिर खान व हाशिम अली (आमिर के बड़े भाई) की हत्या कर शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया गया था। अब उस ग्रुप के चैट भी देख लें और तय करें की न्याय की अर्थी कितनी भारी हैं?
“भाई आरएसएस के लोग आये हैं यहां सपोर्ट में
ब्रिजपुरी में.
और नौ मुल्लों को मार दिया गया है ब्रिजपुरी पुलिया पर
हिम्मत बनाये रखो और इनकी बजाये रखो
जय श्रीराम…”
यह मैसेज दिल्ली दंगे के दौरान बने एक व्हाट्सऐप ग्रुप का है. दंगों में हुई आगजनी और कत्लेआम के एक बड़े हिस्से की तैयारी इसी ग्रुप के ज़रिए हुई थी. दिल्ली में दंगे भड़के हुए थे और पुलिस इतनी मुस्तैद थी कि तीन दिन तक आगजनी, लूटपाट, ह्त्या होती रहीं.
घटनाक्रम और ग्रुप की भूमिका
25 फरवरी 2020 शाम 4 से 4.30 बजे, मुरसलीन को भीड़ ने घेर कर मारा, उसका स्कूटर जलाया और लाश को भागीरथी विहार नाले में जोहरी पुलिया के पास फैंक दिया. 25 फरवरी 2020 शाम 7 से 7 .30 बजे- लोनी की तरफ से पैदल आ रहे आस मुहम्मद को चाकू डंडों से मारा और उसी नाले में फैंक दिया. 25 फरवरी 2020 शाम 7.30 से 8.00 बजे – पहले इलाके की बिजली काटी फिर मुशर्रफ को घर से निकाल आकर काट डाला गया- फिर उसकी लाश को उसी नाले में फैंक दिया गया.
25 फरवरी 2020 रात 9.०० बजे- आमीन को मारा और नाले में डाल दिया.
26 फरवरी 2020 सुबह सवा 9 बजे- भूरे अली उर्फ़ सलमान कि हत्या कर नाले में डाला.
26 फरवरी 2020 रात सवा 9 बजे हमजा की हाथ पैर तोड़े और उसे अधमारा ही नाले में फेंक दिया.
26 फरवरी 2020 रात साढ़े 9 बजे- अकिल अहमद को भी मार आकर नाले में डाल दिया
26 फरवरी 2020 रात 9.40 बजे- हाशिम अली और उसके भाई आमिर को मारा और नाले में लाश फैंक दी
यह सब काम करता रहा ‘कट्टर हिन्दू एकता’ नामक व्हाट्स एप ग्रुप, जिसके चेट में बात चीत है। मैं गंगा विहार में हूँ, किसी भी हिन्दू को जरूरत हो तो बताना, पूरी तैयारी है सारे हथियार हैं। क्या 315 बोर के कारतूस मिला जायेंगे? क्या एक्स्ट्रा पिस्तौल है? अभी तुम्हारे भाई ने दो मुल्लों को काट कर नाले में फैंक दिया। ‘कट्टर हिन्दू एकता’ नाम का व्हाट्सऐप ग्रुप 24 फरवरी की रात 12 बजकर 49 मिनट पर बनाया गया था. इस ग्रुप में लगभग 125 लोग जुड़े हुए थे.
पुलिस ने चार्जशीट के साथ ‘कट्टर हिन्दू एकता’ ह्वाटसप ग्रुप में 24 फरवरी से आठ मार्च के बीच हुई तमाम बातचीत को भी कोर्ट में जमा किया है. इस ग्रुप में हुई बातचीत आरएसएस, कपिल मिश्रा, मस्जिदों में आग लगाने और मूर्तियां स्थापित करने, बंदूक, पिस्टल और गोली के लेन-देन करने और मुसलमानों को मारने की साज़िश के इर्द-गिर्द रही है. इतना ही नहीं इस ग्रुप में मुस्लिम महिलाओं का दुर्व्यवहार करने की भी बात की गई है.
क्या कहा गया पुलिस चार्ज शीट में
कुल 125 लोगों का यह ग्रुप दो दिन तक हत्या कर लाश नाले में फेंकता रहा. यह मैं नहीं कह रहा हौं, यह गोकुलपुरी थाने द्वारा अदालत में पेश चार्जशीट में कहा गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट 104/20 दिनांक 3.3. 2020 धारा -147,148, 149, 302,201, 120 बी। इस मामले में गिरफ्तार 9 में से 8 लड़के महज 19 से 23 साल के हैं। दुखद है कि नफरत का जहर इस छोटे आयु वर्ग में भर दिया गया और इन्हें हथियारों से लैस किया गया. लोकेश सौलंकी 19 , जतिन शर्मा उर्फ़ रोहित 19 , हिमांशु ठाकुर 19 , विवेक पांचाल 20, रिषभ चौधरी उर्फ़ तापस 20 , सुमित चौधरी उर्फ़ बादशाह 23, प्रिंस 22 और पंकज शर्मा 31 साल.
इस मामले में पुलिस की चार्जशीट कहती है कि यह भीड़ लोगों को पकड़ती, उनसे जय श्री राम के नारे लगवाती- आधार कार्ड देखती और हत्या कर देती. लगभग 30 घंटे में 9 हत्या करना तो इन्होने कबूला है. दुर्भाग्य है कि दिल्ली के नागरिक अधिकार समूह के लोगों को बगैर किसी पुख्ता प्रमाण के दंगा भड़काने की साजिश का दोषी बता कर यूएपीए में फंसाया गया लेकिन इतने सुनियोजित तरीके से कई हत्या करने, प्रॉपर्टी जलाने वालों पर कोई संगठित अपराध या दंगा भड़काने की साजिश की धाराएँ नहीं लगायी गईं.
(लेखक पत्रकार एंव स्तंभकार हैं)