नई दिल्ली: सिगरेट चोरी के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए जीशान मलिक को गरीबी के कारण जमानत तक नहीं मिली। 14 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई। 18 वर्षीय ज़ीशान को कोई बीमारी नहीं थी और न ही उसने आत्महत्या नहीं की थी। उसके शरीर पर पुलिस उसे मृत बता रही है, लेकिन उसके परिवार का आरोप है कि उसे मार दिया गया। यह बात ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन, दिल्ली के अध्यक्ष कलीमुल हफीज ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कही।
परिवार ने कहा कि जीशान को कोई बीमारी नहीं थी, उसने एक दुकान से चोरी की थी, हमने सोचा था कि वह बच्चा है, वह पुलिस के डर से उबर जाएगा। कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि दिल्ली पुलिस हिरासत में रोजाना औसतन एक मौत होती है। 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस की हिरासत में एक साल में 348 लोगों की मौत हुई।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों के प्रति पुलिस का रवैया बहुत क्रूर है। जघन्य अपराधी खुले घूम रहे हैं और मुस्लिम युवकों को निशाना बनाया जा रहा है। गरीबों, झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले मुस्लिम युवक विभिन्न समस्याओं से परेशान हैं। उनमें से एक जीशान नाम का व्यक्ति 21 नवंबर को पुलिस ने उठा लिया। उस पर सिगरेट चुराने का आरोप था। एक गैर-मुस्लिम दुकानदार ने पुलिस में शिकायत की थी कि जीशान ने उसकी दुकान से सिगरेट का पैकेट चुरा लिया है। उसे पुलिस ने बेरहमी से पीटा और 14 फरवरी को उसकी मौत हो गई।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि पुलिस ने एक मामूली सामान चोरी करने के आरोप में बहुत क्रूर रवैया अपनाया है। जीशान एक गरीब आदमी था, उसके पास पुलिस को देने के लिए पैसे नहीं थे, वादी एक गैर-मुस्लिम था इसलिए जीशान को मामूली से जुर्म में भेज दिया। हम मांग करते हैं कि जीशान की हत्या की सीबीआई जांच की जाए और जो इस मामले में दोषी हैं उन्हें दंडित किया जाए। इस अवसर पर मजलिस के प्रदेश और जिला पदाधिकारियों के अलावा मजलिस की लीगल टीम भी मौजूद थी।