नयी दिल्लीः दिल्ली का कड़कड़डूमा कोर्ट दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर कल यानि दो सितम्बर को भी सुनवाई जारी रखेगा। आज दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने अदालत में कहा कि शरजील का भाषण अस्सलाम-ओ-अलैयकुम से शुरू हुआ जिससे साफ है कि वो एक खास समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
अमित प्रसाद ने अदालत से कहा कि शरजील के पास दंगे का थीसिस था और उसे अंजाम तक पहुंचाने की कार्ययोजना भी जानता था। अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील इमाम ने अपने भाषणों में कहा कि लोगों के गुस्सा का इस्तेमाल सही जगह पर करना है। केवल नागरिकता संशोधन अधिनियम की बात नहीं है, पिछले 70 सालों में क्या हुआ। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण विभाजनकारी थे और वो पूरे तरीके से अराजकता पैदा करना चाहते थे।
साधारण नहीं है शरजील
सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील इमाम कोई साधारण पृष्ठभूमि का आरोपी नहीं है। वो पॉकेटमार, या ड्रग की तस्करी करने वाला नहीं है बल्कि उसे अच्छा भाषण देने आता है और वो पांच भाषाओं के जानकार हैं। अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के भाषणों को पढ़ा। उन्होंने कहा कि शरजील के भाषणों में तीन बातें साफ थीं। पहला तो ये कि उनके भाषण विभाजनकारी थे। उनके भाषण में किसी एक ही समुदाय को उकसाने की कोशिश की गई थी ताकि पूरे तरीके से अराजकता फैल जाए।
24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैज़ान ख़ान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था। पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा। बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।