नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने करौली (राजस्थान) के दंगा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात कर के जमीयत उलमा-ए-हिंद की तरफ से कानूनी और आर्थिक मदद का आश्वासन दिया। साथ ही वहां पुनर्वास कार्यों की भी समीक्षा की जो स्थानीय तौर पर किए जा रहे हैं।
ज्ञात हो कि 2 अप्रैल 2022 को शोभा यात्रा के जुलूस की वजह से शहर में साम्प्रदायिक हिंसा के घटनाएं हुईं जिसके कारण काफी समय से कर्फ्यू लगा रहा। इस दंगे में बदमाशों ने 77 दुकानों को जला कर राख कर दिया, जिसमें 67 दुकानें मुस्लिम अल्पसंख्यकों की हैं। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें दोनों पक्ष के लोग शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने किया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने करौली के एसपी शैलेंद्र सिंह इंदोलिया और डीएम अंकित कुमार से मुलाकात की। इस मौके पर मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पुलिस प्रशासन के सामने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत मुश्किल दौर से गुजर रही है। ऐसे में इतनी बड़ी तादाद में दुकानों को आग के हवाले करने का सबसे बड़ा नुकसान हिंदू और मुसलमानों का नहीं, बल्कि इस देश का है। कोई भी देश हवा में नहीं बनता, बल्कि इसके निर्माण में लोग, घर, दुकान, शहर और कस्बा, पेड़, सड़क, गाड़ी, सब शामिल होते हैं। इनमें किसी को भी नुकसान पहुंचाना, वतन को नुकसान पहुंचाना है। यहां जो कुछ हुआ है, उसका वास्तविक नुकसान भारत को हुआ है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि वह इस सच्चाई को व्यक्त करती है कि दंगों के लिए मूलतः जिम्मेदार जिला प्रशासन को ठहराया जाए क्योंकि इसकी लापरवाही और अक्षमता की वजह से आग शोले का रूप धारण करते हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमद्दीन कासमी ने एसपी से पूछा कि आखिर किस तरह से 20 सालों बाद इस संवेदनशील क्षेत्र में रैली की अनुमति दी गई और वह भी ऐसी रैली में जिसमें डीजे पर भड़काऊ नारे लगाए गए। सरकार और प्रशासन को हमेशा संवेदनशील क्षेत्रों के प्रति सतर्क और जागरूक रहना चाहिए और ऐसे सांप्रदायिक तत्वों को कभी भी रैलियां करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने नोट किया कि इस क्षेत्र में राजनीतिक कारणों के आधार पर भी दंगेऔर भड़के, विशेष रूप से दोनों समुदायों के बीच की खाई को चौड़ा करने के लिए झूठी और निराधार बातें फैलाई गईं कि इस क्षेत्र से गैर-मुस्लिम पलायन कर रहे हैं, जिसे जिला प्रशासन ने झूठा करार दिया। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि दंगा फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई से ज्यादा जरूरी है कि उन संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए जो दंगों को संचालित करते हैं और एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावी कार्रवाई की जाए।
मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने इस अवसर पर याद किया कि हज़रत मौलाना सैयद असद मदनी नूरुल्ला (जमीयत उलमा-ए-हिंद के पूर्व अध्यक्ष) इस शहर का कई मौकों पर दौरा करते थे। उनके संदेश यहां के लोगों के लिए महत्वपूर्ण होते थे। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल में महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के अलावा, जमीयत उलमा-ए-हिंद के वरिष्ठ आयोजक मौलाना गय्यूर अहमद कासमी, जमीयत उलेमा-ए-राजस्थान के उपाध्यक्ष मौलाना नोमान, मौलाना मुहम्मद यूनिस सीकड़, जिला करौली के अध्यक्ष मौलाना अनीस, करौली के उपसचिव हाफिज लुकमान, जमीयत उलेमा सवई माधोपुर के अध्यक्ष मौलाना महबूब, हाफिज बाबुद्दीन, मुफ्ती इस्लाम, हाफिज लियाकत, हाजी अब्दुलहई इत्यादि शामिल थे।