नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में मुस्लिम समाज में एक विवाह ऐसा भी हुआ जो मिसाल बन गया है। इस शादी में शरीयत के एतबार से तमाम रस्मों की अदायगी हुई, लेकिन सादगी के साथ। जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बेटी की शादी के लिए रखे दान-दहेज के पैसे को बेटी और दामाद ने बचाते हुए उन्हें हज यात्रा का नायाब तोहफा दिया। वह दहेज लेने-देने और शादी में फिजूलखर्ची से तौबा कर इसे नेक काम में लगाने के लिए दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
मूल रूप से पीलीभीत निवासी मोहम्मद मोहसिन पिछले कई वर्षों से गाजियाबाद के पंचशील अपार्टमेंट में रहते हैं। उनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं है। ममेरे भाई गुड्डू ने उनका रिश्ता बरेली जनपद में लईक अहमद की पुत्री अरशी तस्नीम से कराया। शादी से पहले अपने होने वाले पति मोहम्मद मोहसिन से अरशी ने फोन पर अपने मन की बात की। इसमें उन्होंने बताया कि मेरे अम्मी-अब्बू के पास ज्यादा पैसे नहीं है, लेकिन जो भी हैं, शादी और दहेज में सामान के लिए खर्च करने की तैयारी कर रहे हैं।
इस पर मोहसिन का सवाल था कि आप क्या चाहती हैं। अरशी ने बताया कि शादी में होने वाली फिजूलखर्ची से बेहतर है कि हमारे अम्मी-अब्बू उस पैसे से हज करें। यानी शादी में पैसा खर्च होने के बाद उनके पास हज के लिए पैसा नहीं रहेगा, जो कि हर मुसलमान की चाहत होती है। अरशी तस्नीम ने इस बारे में अपने अम्मी-अब्बू से बात की और वह इसके लिए राजी हो गए। मोहसिन ने इसके लिए अपनी ओर से ही शादी के लिए जरूरी खरीदारी कराई और शादी में होने वाला खर्च बचाकर रखा। निकाह बिना दान-दहेज और फिजूलखर्ची के हुआ। लईक अहमद और शाहिदा तस्नीम को अरशी तस्नीम और मोहम्मद मोहसिन ने हज मुबारक के लिए रवाना किया।
दूसरों को कर रहे जागरूक
अरशी तस्नीम और मोहम्मद मोहसिन दूसरे लोगों को भी बिना दान-दहेज और फिजूलखर्च किए शादी करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है कि शादी की रस्म अदायगी सादे तरीके से भी हो सकती है। इससे गरीब की बेटी की वक्त पर शादी हो सकती है। शादी-विवाह में फिजूलखर्ची लोग अपनी शान समझते हैं। यह नहीं सोचते कि गरीब और मध्यम वर्ग की बेटी वक्त पर इस वजह से विदा नहीं हो पातीं। अरशी और मोहसिन की तरह युवाओं को आगे आने की जरूरत है।