दारुल उलूम देवबंद की शाहीन बाग़ की आंदोलनकारी महिलाओं से अपील, अब धरना बंद करें, क्योंकि…

नई दिल्ली/देवबंदः नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ शाहीन बाग़ में पिछले 54 दिनों से चल रहे महिलाओं के धरने को हटाने की अपील की है। अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाईम्स की एक ख़बर के मुताबिक़ दारुल उलूम देवबंद के एक सेमिनार में कहा गया है कि शाहीन बाग़ आंदोलन को अब बंद कर देना चाहिए क्योंकि सरकार ने एनआरसी लाने से मना कर दिया है।

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दारुल ने कहा है कि महिलाओं को धरना ख़त्म कर देना चाहिए, क्योंकि गृहमंत्रालय ने साफ कर दिया है कि एनआरसी लाने का फिलहाल कोई इरादा नही है। यह इस आंदोलन की कामयाबी है, इसलिये अब इस धरने को बंद कर देना चाहिए। बता दें कि शाहीन बाग़ धरना को पहले बदनाम करने की साजिशें भी की जा चुकी हैं। इस धरने में कपिल गुर्जर नाम के एक युवक ने गोली भी चलाई थी, जिसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है।

गौरतलब है कि नए नागरिकता संशोधन क़ानून के मुताबिक़ अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी जबकि मुसलमानों को इस सूची से बाहर रखा गया है। भारत में नागरिकता देने का क़ानून पहले से था, लेकिन उसमें नागरिकता देने का आधार धर्म नहीं था, लेकिन नए क़ानून के मुताबिक़ धर्म आधारित नागरिकता दी जाएगी।

इस विवादित क़ानून के ख़िलाफ देश भर में आंदोलन हो रहे हैं। बता दें कि असम में हुई एनआरसी में 19 लाख से ज्यादा लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए थे, इन 19 लाख में बड़ी तादाद गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों की है। नए क़ानून के मुताबिक़ गैर मुस्लिमों को नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन जो मुसलमान हैं उन्हें ‘घुसपैठिया’ माना जाएगा, और डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा।