नई दिल्ली: बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने कहा कि आज देश में एक विशेष वर्ग के प्रति नफरत फ़ैलाने एवं मॉब लिंचिंग की घटनाएँ आम हो गई है जिस का ताजा मामला नीमच का है, यहां के एक बुजुर्ग को कुछ लोगों द्वारा पीटने का वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति मारते हुए पूछ रहा है कि तेरा नाम क्या मोहम्मद है? जावरा से आया है? चल तेरा आधार कार्ड बता। पिटने वाले बुजुर्ग का शव पुलिस को मिला है। उसके बाद ये वीडियो वायरल हो रहा है। मामले में भाजपा नेता पर केस दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार वीडियो मनासा का है। मार खा रहे व्यक्ति का नाम भंवरलाल चत्तर जैन है, उनकी उम्र 65 वर्ष है। जो रतलाम जिले के सरसी तहसील, जावरा के निवासी थे। पिटाई से उनकी मौत हो गई। शनिवार की सुबह मनासा रामपुरा रोड पर उनका शव मिला है।
लोकसभा सांसद कुँवर दानिश अली ने इस घटना पर अफ़सोस जताते हुए ट्वीट किया “मध्य प्रदेश से आज ‘नये भारत’ की एक चिंतित करने वाली तस्वीर आयी है। मासूम बुज़ुर्ग को पीट-पीट कर सिर्फ़ इस लिये मार दिया गया कि वो मुसलमानों जैसा नज़र आ रहा था। अल्पसंख्यकों के प्रति ऐसी नफ़रत, मेरा भारत ऐसा नहीं हो सकता, मेरा समाज इस स्तर पर नहीं आ सकता शिवराज सिंह चौहान।”
कुँवर दानिश अली ने कहा के मैंने दिनांक 9 जुलाई 2019 को तबरेज अंसारी के मॉब लिंचिंग पर तथा दिनांक 10 फरवरी 2022 को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान देश में हो रही मॉब लिंचिंग के वारदातों पर कानून बनाने एवं राज्यों द्वारा बनाये जा रहे कानून को केंद्र सरकार के प्रतिनिधि द्वारा अनुमति नहीं देने के मुद्दे को लोकसभा में उठाते हुए कहा था के देश के अंदर मॉब लिंचिंग किस तरह से लगातार बढ़ रही है, चाहे हरियाणा का पहलू खान हो, उत्तर प्रदेश का अखलाक हो, महाराष्ट्र में साधुओं की मॉबलिंचिंग हुई हो या झारखंड में तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग हुई हो। सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 के अपने फैसले में बकायदा भारत सरकार को एक निर्देश दी है कि मॉब लिंचिंग पर कानून बनाया जाए। लेकिन, भारत सरकार सोई हुई है। उस पर कानून नहीं बना रही है।
दानिश अली ने कहा कि कुछ प्रदेश सरकारें मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून बनाना चाहती हैं, कानून पास करके राज्यपाल को भी भेजा है, लेकिन केंद्र सरकार के जो प्रतिनिधि हैं, गवर्नर हैं, वे मॉब लिचिंग के खिलाफ बने हुए कानून को अपनी अनुमति नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विदित है की पिछले दिनों झारखंड की विधान-सभा ने मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून पास किया। झारखंड सरकार ने गवर्नर साहब से गुहार लगाई, लेकिन गवर्नर साहब ने काफी दिन तक फाइल रखने के बाद उसको वापस कर दिया।
बसपा सांसद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय भी कह चुका है कि मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून बनना चाहिए, फिर भी केंद्र सरकार कानून नहीं बना रही है और न उन राज्य सरकारों को अनुमति दे रही है। जो सरकारें अपने यहां कानून बनाना चाहती हैं, गवर्नर्स के माध्यम से उनको रोका जा रहा है।
सांसद कुँवर दानिश अली ने सरकार से मांग की थी की मॉब लिचिंग के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाए और जो राज्य इस पर कानून बना रही है उन्हें अनुमति दी जाए। जिस से की देश में धर्म के नाम पर हो रहे नरसंहार को रोका जा सके और मासूम लोगों की जान की रक्षा हो सके।
उन्होंने बताया कि इसके जवाब में भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने उत्तर देते हुए कहा है की सरकार का इरादा मौजूदा देश के आपराधिक कानूनों की व्यापक रूप से समीक्षा करना, उन्हें समकालीन कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के अनुरूप बनाना, समाज के कमजोर वर्गों को शीघ्र न्याय प्रदान करना और नागरिक-केन्द्रित कानूनी ढांचे का निर्माण करना है। गृह मंत्रालय की विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने दिनांक 23.06.2010 की अपनी 146वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की व्यापक समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। इससे पूर्व इस संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 111वीं और 128वीं रिपोर्टों में संबंधित अधिनियमों में, टुकड़ों में संशोधन करने के बजाय संसद में एक व्यापक कानून लाकर देश के आपराधिक कानून में सुधार करने और इसे युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया था। भारत सरकार सभी स्टेकहोल्डेरों के साथ परामर्श करते हुए आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधनों के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे विश्वास है कि उपरोक्त से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
दानिश अली ने बताया कि भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के स्पष्ट उत्तर नहीं देने से मैंने असंतुष्टता जताते हुए कहा के देश में अब तक सैकड़ों कानून बन गए लेकिन जो जनता के हित और देश में शांति और सौहाद्र के लिए कानून बनना चाहिए अभी तक सरकार नहीं बना पायी है, या यूँ कहूँ के सरकार इस पे कानून नहीं बनाना चाहती है जिस से देश में समाजिक सौहाद्र बिगाड रहे उपद्रवियों को शह देते रहे जिस से उनका ध्रुवीकरण की राजनीतिक सफ़र चलती रहे और समाज का एक विशेष वर्ग इंसाफ से महरूम रहे।