नई दिल्लीः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओ एम ए सलाम ने अपने एक बयान में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 के पारित किए जाने पर सख़्त नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि संसद में ध्वनि मत से पारित यह बिल गहरी चिंता का विषय है। पुलिस और जेल अधिकारियों को दोषी, गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए लोगों की आंख की पुतली और रेटीना के रिकॉर्ड सहित उनके शारीरिक एवं जैविक नमूनों को एकत्र करने, सुरक्षित करने और विश्लेषण करने की अनुमति देना सभी प्रकार के दुरुपयोगों का दरवाज़ा खोल देगा।
ओ एम ए सलाम ने कहा कि इसमें ढीले-ढाले शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिसके आधार पर यह बिल कानून प्रवर्तन एजेंटों को, जो उन्हें सही लगे उसके हिसाब से कानून की व्याख्या करने का अधिकार देता है। यह बिल 21वीं शताब्दी का एक नया काला कानून बन जाएगा। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष की ओर से उठाई गई आशंकाओं का जवाब दिए बिना इस बिल का पारित किया जाना बीजेपी सरकार की तानाशाही फितरत का पता देता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को डाटा जमा और सुरक्षित करने का अधिकार देना संविधान के तहत दिए गए अधिकारों की अलाहदगी का उल्लंघन है। यह बिल संवैधानिक प्रावधानों में रूकावट पैदा करता है और इस तरह एक लोकतांत्रिक देश को एक निगरानी वाले राज्य में बदल देता है। शासक दल इस बिल को कानूनी तरीके से विरोध की आवाज़ों को खामोश करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पॉपुलर फ्रंट न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करता है, क्योंकि यह बिल सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से टकराता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार यह बिल संविधान की कसौटी पर पूरा नहीं उतरता। नागरिकों को चाहिए कि वे इस असंवैधानिक व अमानवीय बिल के बड़ी जल्दबाज़ी में पारित किए जाने के विरोध में आगे आएं।