रांचीः झारखंड विधानसभा परिसर में नमाज पढ़ने के लिए कमरा आवंटित किये जाने के मामले में उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने एक समिति गठित किया है। समिति 45 दिनों के अंदर इसकी रिपोर्ट देगी और समिति की रिपोर्ट को आसन स्वीकार करेगा। दूसरी तरफ स्पीकर के इस फैसले पर विपक्षी विधायक भानू प्रताप शाही की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीजेपी के दबाव में यह फैसला लिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने भोजनावकाश के बाद सभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद बताया कि कमरा आवंटित करने को लेकर उत्पन्न गतिरोध को दूर करने के लिए पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने समिति गठित करने का सुझाव दिया था, इसलिए वे एक सर्वदलीय कमेटी का गठन करते है और आसन समिति की अनुशंसा को स्वीकार करेगा।
उन्होंने कहा कि कमेटी को 45 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है और यह उम्मीद की जाती है कि जल्द से जल्द कमेटी अपना रिपोर्ट सौंप देगी। कमरा आवंटित करने के लिए गठित सर्वदलीय कमेटी का संयोजक जेएमएम विधायक स्टीफन मरांडी को बनाया गया है। इस समिति में विधायक प्रदीप यादव, बीजेपी के नीलकंठ सिंह मुंडा, जेएमएम के सरफराज अहमद, भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह, आजसू के लंबोदर महतो और कांग्रेस की दीपिका पांडेय को सदस्य मनोनीत किया गया है।
इससे पहले मॉनसून सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को प्रश्नोत्तरकाल बाधित रहने के दोबारा सभा की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के सरफराज अहमद ने इस मामले को उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को फैसले पर पुनर्विचार के लिए विशेष समिति के गठन का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उन्होंने विधानसभा कर्मचारियों के आवेदन के आधार पर कमरा आवंटित किये जाने का निर्णय लिया था,उससे विवाद बढ़ा है, जबकि राज्य गठन के वक्त बाबूलाल मरांडी प्रथम मुख्यमंत्री थे और इंदर सिंह नामधारी स्पीकर थे, उस वक्त भी नमाज क ेलिए अलग से एक कमरा दिया गया था, उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए विधानसभा परिसर में भी नजाम के लिए कमरा आवंटित किया गया है, लेकिन इसको लेकर बतंगड़ बनाया जा रहा है, धार्मिक उन्माद बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर एक कमेटी बने, जो तय सीमा के अदंर अपनी रिपोर्ट दें। विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने भी इसका समर्थन किया।
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने जेएमएम विधायक सरफराज अहमद के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में किसी के लिए कमरा आवंटित नहीं था। वैसे भी इसके लिए संविधान इजाजत नहीं देता है। लोकतंत्र के मंदिर को लोकतंत्र का मंदिर की बने रहने देना चाहिए। इसके जवाब में सरफराज अहमद ने कहा कि यह एक परिपाटी रही है, कमरा आवंटित करने का मतलब यह नहीं है कि वहां मस्जिद बना दी गयी है।
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के सुझाव को सुनने के बाद कहा कि ऐसा लगता है कि इस मसले पर सदन की सहमति है, लिहाजा वे दूसरी पाली में समिति की घोषणा कर देंगे और समिति को एक निर्धारित समय सीमा के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहेंगे।
सत्तापक्ष की ओर से आये सुझाव पर बीजेपी विधायक ने कहा कि गतिरोध खत्म करने के लिए इस विषय पर पहले दिन ही प्रस्ताव लीया जा सकता है, लेकिन आज जिस तरह से सत्तापक्ष का स्टैंड बदल दिया है,उससे साफ है कि भाजपा के दबाव का असर हुआ है।