नई दिल्लीः इस्लामी कैलेंडर के मुहर्रम के महीने की दस तारीख दुनिया के इतिहास में ऐसी दर्ज हुई कि जब जब ज़ुल्म के ख़िलाफ आवाज़ उठतीं हैं, तो उन्हें इस इमाम हुसैन का बलिदान याद आता है. यह बलिदान ज़ुल्म के ख़िलाफ लड़ने वालों को हौसला देता है, ताक़त देता है, और यह पुख्ता करता है कि बुराई कितनी ही ताक़तवर क्यों न हो लेकिन उसे मिटना ही पड़ता है। इमाम हुसैन की शहादत दिवस के मौक़े पर आज़ाद समाज पार्टी के सुप्रीमो चंद्रशेखर आज़ाद ने ट्वीट कर कहा कि ‘हुसैन हक़ हैं, हुसैन हौसला हैं, हुसैन ताक़त हैं.’
उन्होंने कहा कि हुसैन हक़ हैं, हुसैन हौसला हैं। हुसैन की क़ुर्बानी एक मिसाल हैं कि यज़ीद कितना ही ताक़तवर क्यों न हो जाए लेकिन वह हक़ की राह पर चलने वाले हुसैन से नही जीत सकता। हुसैन के क़ुर्बानी ने जाने कितनों को हौसला दिया है। जुल्म और नाइंसाफी के ख़िलाफ जंग में हुसैन एक ताकत हैं।
इन मुद्दों पर भी रखी बेबाक राय
आज़ाद समाज पार्टी के नेता ने रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ भी सरकार को कठहरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि रेलवे का निजीकरण करके भाजपा एक तरफ़ देश की ग़रीब जनता को निजीकरण के दलदल में धकेल रही है तो दूसरी तरफ़ बहुजनों के आरक्षण को रेलवे से स्थायी रूप से ख़त्म करने का इंतजाम कर रही है,अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो समय दूर नहीँ जब आज़ाद देश में नागरिक नहीँ पूंजीपतियों के ग़ुलाम पैदा होंगे।
ग़ौरतलब है कि चंद्रशेखर आज़ाद रावण भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर होते रहे हैं। साल 2017 में सहारनपुर में दलित उत्पीड़ के खिलाफ आंदोलन करके सुर्खियों में आए चंद्रशेखर आज़ाद ने इसी साल आज़ाद समाज पार्टी का गठन किया है। इससे पहले उन्होंने देश भर में सीएए विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेकर आंदोलनकारियों का समर्थन किया था। 19 दिसंबर 2019 को जामा मस्जिद की सीढ़ियों से उन्होंने सीएए विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसके बाद वे सीएए विरोधी आंदोलन का चेहरा बनकर सामने आए थे।