नई दिल्लीः भीम आर्मी के संस्थापक और आज़ाद समाज पार्टी सुप्रीमो चंद्रशेखर आज़ाद आज उत्तर प्रदेश में जिला कुशीनगर पहुँचे। जहां उन्होंने महात्मा गौतम बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल पर नमन किया। इसके बाद उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया। चंद्रशेखर ने जनसभा से पहले आजाद समाज पार्टी को कैसे गांव-गांव तक पहुंचाया जाये इसे लेकर कार्यकर्ताओ के साथ रात्रि कैडर और पूर्वांचल में महिलाओं को पेश आने वाली समस्याओं के समाधान पर एक चर्चा की।
चंद्रशेखर ने कहा कि आज भी शोषित वंचित समाज की बड़ी आबादी गाँव मे रहती है इसलिये सत्ता का रास्ता गाँव से होकर जाएगा, हमें युद्ध स्तर पर गांव-गांव मे जाकर शोषित समाज को तैयार करना पड़ेगा, उन्होंने कहा कि सोए हुए समाज को शासक समाज बनाने के लिये अभी बहुत मेहनत करनी है। जनसभा को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर ने नारा दिया कि बहुत हुआ अत्याचार, अब न सहेंगे अत्याचार, अबकी बार ग़रीबों की सरकार। आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख ने अपनी सभा में किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कृषि क़ानूनों के नुकसान भी गिनाए।
यहां चंद्रशेखर आज़ाद का पूरा भाषण
चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि आज का दिन मेरे लिये ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि आज से ठीक एक साल पहले मैंने सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में जामा मस्जिद की ऐतिहासिक सीढ़ियों पर खड़ा होकर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी थी, यह अलग बात है कि मुझे इस ‘जुर्म’ में जेल में डाल दिया गया था। लेकिन मैंने खुद से और बहुजन समाज से वादा किया है कि संविधान की धज्जियां किसी भी क़ीमत पर नहीं उड़ाने दी जाएगी। उन्होने कहा कि एक साल पहले यह सरकार सीएए जैसा काला क़ानून लाई थी और आज ठीक एक साल बाद यही सरकार कृषि सुधार के नाम पर काला कानून लेकर आई है, इन काले क़ानूनों को किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आज़ाद समाज पार्टी के सुप्रीमो ने कहा कि यह सरकार मनुवाद से ग्रस्त है यह नहीं चाहती कि बहुजन समाज को न्याय मिले, लेकिन सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता बदलती रहती है, और सत्ता बदलने पर पुरानी फाईलें फिर से खुल जातीं हैं। चंद्रशेखर ने कहा कि बहुजन समाज पर होने वाला अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो भी अत्याचार होगा चाहे वह किसी भी पद पर बैठा हो वह क़ानून से बड़ा नहीं है।
किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि इस क़ानून से बड़े पूंजीपति लोग मनमाने दाम पर किसानो से उनकी फसल का सौदा करके भंडारण करेंगे, और फिर दस रुपये किलो खरीदे गए गेंहूं को गरीबों मे 100 रुपये किलो के दाम पर बेचेंगे। उन्होंने कहा कि किसान सिर्फ अपने अधिकारों के लिये ही नहीं लड़ रहे हैं बल्कि वे इस देश की ग़रीब अवाम को भुखमरी और मंहगाई की मार से बचाने के लिये इतनी सर्दी में सड़कों पर लड़ाई लड़ रहे हैं।