संविधान विरोधी विज्ञापन के खिलाफ मुखर हुए चंद्रशेखर, कहा ‘भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है और ना ही हिन्दू राष्ट्र बनने देंगे।’

नई दिल्लीः एक हिंदी समाचार पत्र में प्रकाशित हुए कथित संविधान विरोधी विज्ञापन का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। अब उस विज्ञापन के खिलाफ मुखर होते हुए आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा है कि भारत हिंदू राष्ट्र नही है और ना ही हम इसे हिन्दू राष्ट्र बनने देंगे। बता दें कि 23 नवंबर को हिंदुस्तान अख़बार के फ्रंट पेज पर एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ था। यह विज्ञापन अतुल द्विवेदी ने प्रकाशित कराया है।

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अतुल द्विवेदी विश्व हिंदू पीठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय खाद्य निगम का सदस्य भी है। इस विज्ञापन में भारत को हिंदुराष्ट्र बताया गया है। जिसके खिलाफ अब आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने विज्ञापन प्रकाशित कराने वाले अतुल द्विवेदी के खिलाफ देशद्रोह लगाने की मांग की है।

चंद्रशेखर ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र नही है और ना ही हम इसे हिन्दू राष्ट्र बनने देंगे। देश बाबा साहेब के संविधान से चलता आया है और संविधान से ही आगे भी चलेगा। धर्मनिरपेक्षता पर हमला मतलब देश एवं संविधान पर हमला है।संविधान विरोधी इस विज्ञापनदाता पर तत्काल देशद्रोह के तहत कार्रावाई की जाए।

सिर्फ चंद्रशेखर ने ही उठाई आवाज़

हिंदुस्तान अख़बार में प्रकाशित इस संविधान विरोधी विज्ञापन के खिलाफ सिर्फ चंद्रशेखर आज़ाद ने ही आवाज़ उठाई है। जबकि बाबा साहेब अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले दूसरे दलों के नेता खामोश रहे। ग़ौरतलब है कि चंद्रशेखर आज़ाद अक्सर अपने साथ संविधान लेकर चलते हैं। अपनी रैलियों में वे अक्सर भारतीय संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ा करते हैं।

इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया

आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख इलाहबाद हाईकोर्ट के उस फैसले का भी स्वागत किया है, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा यूपी सरकार को फटकार लगाई गई है। दरअस्ल भाजपा द्वारा ईजाद किए गए तथाकथित लव जिहाद को इलाहबाद हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि बालिग लोगो के रिश्तो मे दखल देना निजता के अधिकार मे अतिक्रमण है, अलग-अलग धर्म या जाति का होने की वजह से किसी को साथ रहने या शादी करने से नही रोका जा सकता।

चंद्रशेखर ने इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा द्वारा ईजाद किए गए तथाकथित लव जिहाद पर इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी सरकार को पड़ने वाली फटकार नज़ीर बननी चाहिए।अब BJP शासित सरकारो को सबक़ लेना चाहिए कि वे संविधान विरोधी कृत्य से बाज आएं। संविधान ने नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता एंव अपनी मर्ज़ी से शादी का अधिकार दिया हुआ है।