Category: शख़्सियत

औरंगज़ेब आलमगीर जिसने कहा “मैं अजनबी की तरह आया और अजनबी की तरह जा रहा हूं…”

रवीश कुमार औरंगज़ेब और आरक्षण। इससे ज़्यादा लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है। इन दो शब्दों को देखते ही पढ़ने वाले के दिमाग़ में जो भ्रांतियां मौजूद हैं वो बाहर….

राजस्थान: समाज के मसीहा बनकर उभरे अमीन कागजी

हफ़ीज़ पठान राजस्थान की राजधानी जयपुर के किशन पोल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक अमीन कागजी की लोकप्रियता इन दिनों सर चढ़कर बोल रहीं हैं। विधायक के रूप में….

के कामराजः जिनकी दोनों चॉइस ही हिंदुस्तान का दिल जीतने वाली थी…

मनीष सिंह तड़ीपार नही था वो! पर चश्मा उतारकर आपको घूर ले, तो ख़ौफ़ तारी हो जाये। जिस ख़ौफ़ का सौ तड़ीपार भी मुकाबला नही कर सकते। लेकिन कामराज छोटे….

सरदार अजीत सिंह: पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन के सर्वेसर्वा को जब उनकी पत्नी ने ही पहचानने से इंकार कर दिया

राजेन्द्र गोदारा अजीत सिंह जिन्होंनें आज ही के दिन 23 फरवरी 1907 को पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन की हूंकार भरी थी वैसे उन्हें इस आंदोलन की वजह से कम और….

मैल्कम एक्स: अमेरिका का वो अश्वेत लीडर जिन्होंने कहा ‘अगर नस्लभेद समस्या है तो सिर्फ इस्लाम इसका हल है’

मोहम्मद इक़बाल मलिक शहबाज़ उर्फ मैल्कम एक्स (Malcolm X, 1925 -1965) अमेरिका के मशहूर अश्वेत लीडर थे, उन्हें अश्वेत अमेरिकियों के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने के लिए जाना….

मुस्कान ख़ातून: एसिड अटैक की शिकार एक ऐसी बहादुर बेटी, जिसके हौसले के सामने पस्त हुईं चुनौतियां

मनीष मिश्रा अभी वह महज 17 साल की हैं। मगर इससे भी दो वर्ष पहले जिंदगी ने उन्हें ऐसा दर्दनाक तजुर्बा दिया है, जिसकी टीस तो खैर आखिरी सांस तक ….

स्मृति शेष: चौधरी खुर्शीद अहमद को क्यों कहा जाता है मेवात का विकास पुरुष और दूरदर्शी नेता?

नूंह व तावडू से विधायक, कैबिनेट मंत्री व फरीदाबाद लोकसभा से सांसद रहे मरहूम चौधरी खुर्शीद अहमद की आज दूसरी बरसी है, मेवात में मौजूद अधिकांश परियोजनाएं उन्हीं की देन….

ग़ालिब की 153वीं बरसी के बहाने: हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया, पर याद आता है…

प्रियदर्शनवह कौन सी चीज़ है जिसकी बदौलत मिर्ज़ा ग़ालिब अपने इंतकाल के डेढ़ सौ बरस बाद भी मौत को जैसे चकमा देते हमारे-आपके बीच घूम रहे हैं? वे जैसे हर….

बनारस के “बिस्मिल्लाह” आज़ादी के जश्न में गूंजी जिनकी शहनाई

आज जब भी “उस्ताद बिस्मिल्लाह” का ज़िक्र आता है तो अक्सर इस बात का ज़िक्र भी आता है कि अद्भुत थे शहनाई के उस्ताद जो गंगा के पानी से वुज़ू….

माहा आब्दो: ऑस्ट्रेलिया में मुस्लिम औरतों के हिजाब पहनने के हक की सफल लड़ाई लड़ने वाली ‘अनसंग हीरो’

वह 1960 का दशक था। लेबनान अराजकता की ओर बढ़ चला था। जॉर्डन में मिली शिकस्त से निराश बहुतेरे फलस्तीनी लड़ाके लेबनान चले आए थे और वे वहीं से इजरायल….