Category: शख़्सियत

आज़म ख़ान: लोकतांत्रिक समाजवादी और एक ऐसा शिक्षाविद जो विश्विद्यालय बनाने की ‘सजा’ भुगत रहा है

विवेक कुमार   आज़म ख़ान आधुनिक भारत में शिक्षा के, ख़ास तौर पर मुसलमानों के शिक्षा के सबसे बड़े प्रवक्ता हैं, एक ऐसा व्यक्ति जो इमरजेंसी में अपने आंदोलन के….

यादों में दिलीप कुमार: सदियों में अदाकार-ए-आज़म एक बार ही आता है

खुशदीप सहगल कलाकार या स्टार आते-जाते रहते हैं लेकिन सदियों में अदाकार-ए-आज़म एक बार ही आता है। दिलीप कुमार अभिनेता के साथ-साथ अभिनय की यूनिवर्सिटी भी है, जिनकी फिल्में देख….

फादर स्टेन स्वामी: ग़रीब आदिवासियों का मसीहा जिसे विदेशों में सम्मान मिला लेकिन अपने देश में…

विक्रम सिंह चौहान आखिरकार फादर स्टेन स्वामी को ‘मार’ दिया गया। वे कोरोना इलाज के दौरान वेंटिलेटर पर थे। 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी देश के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे….

जब लालू ने की थी प्रतिज्ञा ‘भाईचारा बरकरार रखने की अपनी जिम्मेवारी से कभी पीछे नही हटूंगा’

लालू प्रसाद यादव सच कहूँ तो किसी ने मुझे इस यात्रा को रोकने या आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए नही कहाँ था। प्रधानमंत्री ने कुछ नही कहा। मुफ़्ती मोहम्मद….

ब्रूस ली को कौन नहीं जानता? लेकिन कौन जानता है कि ब्रूस ली कविताएं भी लिखते थे!

अशोक पांडे बाहर से देखने पर मार्शल आर्ट्स फिल्मों का यह नायक आपको बिजली की बनी मांसपेशियों वाला एक खामोश चुम्बक नजर आएगा। उसकी अकल्पनीय तेजी, शर्मीली आक्रामकता और तराशी….

नज़ीर हुसैन, आज़ाद हिंद का एक फौजी

वीर विनोद छाबड़ा  ग़रीब और बेरोज़गार मज़दूर सा दिखता हुआ या बच्चों द्वारा ठुकराया दर-दर भटकता हुआ आदमी।।।रोता हुआ और जिसके मुंह से शब्द बाद में फूटें आंखों से आंसू….

नादिया नदीम: अफगानिस्तान में जन्म, इटली में शरण, डेनमार्क के शरणार्थी शिवर से फुटबॉलर बनने का सफरनामा

अशोक पांडे एक स्कूल में प्रिंसिपल हमीदा बेगम की पांच बेटियां थीं। पति रबानी नदीम अफगानिस्तानी फ़ौज में बड़े अफसर थे। 1990 के दशक में तालिबान के आने पर अफगानिस्तान….

मिला किसी को हो खेलों के पहले भारत रत्न तो मिल्खा ही थे

शकील अख्तर आजादी के बाद से भारत में मिल्खा सिंह से बड़ा खिलाड़ी कोई नहीं हुआ। हालांकि आजकल जिन्हें सेलिब्रिटीज कहते हैं वे कई हैं। लेकिन अगर महान खिलाड़ियों की….

आसान नहीं है राहुल गांधी बनना, इसलिए चांदी का चम्मच फेंक ज़हर का प्याला पी रहे राहुल

नवेद शिकोह निराशा, पराजय, आलोचना, गालियां और लम्बे संघर्ष के जितने कांटे चुभेंगे भविष्य में उतना लम्बा सत्ता का क़ालीन समय का चक्र बिछा देगा। सियासत का यही क़ायदा है।….

यादों में मिल्खा सिंह : जब ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करने पर जेल गए थे फ्लाइंग सिख

अशोक पाण्डेय विभाजन की त्रासद हिंसा में मिल्खा सिंह के माता-पिता, एक सगी बहन और दो सगे भाई मार डाले गए थे. पाकिस्तान से भाग कर दिल्ली पहुंचे मिल्खा कुछ….