Category: चर्चा में

चिंता सिर्फ इस बात की है कि ये दुनिया पहले से बेहतर होनी चाहिए

कॅष्णकांत कट्टरता एक अदृश्य जाल है. इसकी गिरफ्त में आया इंसान ये समझता नहीं कि वह जाल में फंसा हुआ है. जब उसके सामने इससे जुड़ा कोई सवाल आता है….

राम पुनियानी का लेखः फिरकापरस्त, भारतीय संविधान और मुस्लिम अल्पसंख्यक

एक वर्ष पूर्व (अक्टूबर 10, 2019) आरएसस के मुखिया मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले मुसलमान हिन्दुओं के कारण दुनिया में सर्वाधिक सुखी हैं। अब वे….

रवीश का सवालः रेटिंग के बहाने नियम बदल कर वही खेल खेले जाने का दिमाग़ किसका है भाई?

रेटिंग को लेकर जो बहस चल रही है उसमें उछल-कूद से भाग न लें। ग़ौर से सुनें और देखें कि कौन क्या कह रहा है। जिन पर फेक न्यूज़ और….

तनिष्क के बहानेः क्या किसी ने यश चौपड़ा से पूछा कि उन्होंने ‘वीर ज़ारा’ क्यों बनाई?

मोहम्मद ज़ाहिद तनिष्क के विज्ञापन पर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है। इस लेख के लिखे जाने तक गुजरात से ख़बर पर भी आ गई जिसमें तनिष्क के शोरुम….

क्या फेल हो गई है जीएसटी व्यवस्था?

गिरीश मालवीय क्या जीएसटी व्यवस्था फेल हो गई है? केरल के साथ देश के नो राज्य केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे पिटीशन दाखिल करने वाले है. केरल के….

कोरोना में क्या है बिग फार्मा की भूमिका? होश उड़ाने वाली है यह सच्चाई!

गिरीश मालवीय अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कोरोना पॉजिटिव होने से ज्यादा उनके इतने जल्दी ठीक होने से दुनियाभर में लोग हैरान हैं। लगभग हफ्ते भर में ही वह रिकवरी कर….

जब गांधी जी ने कहा था ‘मुस्लिम राजाओं के शासन में हिन्दू और हिन्दुओं के शासनकाल में मुसलमान, फले-फूले’

राम पुनियानी इस वर्ष गांधी जयंती (2 अक्टूबर 2020) पर ट्विटर पर ‘नाथूराम गोडसे जिन्दाबाद‘ के संदेशों का सैलाब आ गया और इसने इसी प्लेटफार्म पर गांधीजी को दी गई….

आर्मेनियाई ज़ुल्म का शिकार है अज़ैरबाइजान, लेकिन तुर्की और रूस क्यों हैं आमने सामने?

डॉ. अख़लाक़ अहमद उस्मानी अज़ैरबाइजान और आर्मेनिया के बीच 36 नहीं 27 का आंकड़ा है. हम कह सकते हैं कि आर्मेनिया ने अज़ैरबाइजान के मान्य नक्शे के 27 प्रतिशत भूभाग….

किसान आंदोलन में अंबानी और अडाणी को क्यों ललकार रहे हैं राहुल गांधी

संजीव पांडेय पंजाब के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान सड़कों और रेलवे ट्रैक पर धरने तक सीमित नहीं है। पंजाब के किसान पहली बार मुकेश अंबानी औऱ गौतम….

अटल सरकार में रखी गई थी बिजली के निजीकरण की नींव, अब बिजली कर्मचारी भुगतेंगे खमियाजा

गिरीश मालवीय बिजली का निजीकरण किस तरह से उपभोक्ताओं के लिए और बिजली कर्मचारियों के लिए घातक सिद्ध होने जा रहा है, यह समझने के लिये हमें थोड़ा पीछे जाना….