मेवाती समाज का आह्वान: तुष्टिकरण नहीं, अब होगी वोट की चोट, जो करेगा मेव समाज की बात, वही करेगा UP पर राज

नई दिल्लीः भारत के एक बड़े मुस्लिम समाज में आता है मेवाती समाज.. और आज यह समाज अपने हितों की रक्षा, हक व हकूक के लिए मैदान में है। यह मुस्लिम समाज काफी नाराज़ है। इनका नाराज़गी कांग्रेस समेत सभी तथाकथित सेक्यूलर कहलाने वाले स्वार्थी पार्टियों से है। मेवाती समाज को गुस्सा है कि सभी ने उनको हमेशा नज़रंदाज़ किया है। मेवाती समाज ने आह्वान किया है कि उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से शासन करती आई चार मुख्य दलों एवं उनके गठबंधन करने वाली कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के खिलाफ इस बार वोट की चोट कर के सबक सिखाया जाएगा।

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मेवाती समाज ने नई दिल्ली के हरियाणा भवन में जुटे एक बड़े कार्यक्रम में पत्रक जारी कर एक मत से ऐलान किया कि उनके समाज का पूरा समर्थन उसी को मिलेगा जो उनके समाज के हित की बात करेगा। मेवाती समाज उत्तरप्रदेश के 37 जिले में रहते हैं। इस अवसर पर पूर्व चेयरमैन मेवात डेवलपमेंट बोर्ड एवं मेवाती समाज के बड़े नेता खुर्शीद रजाका ने पत्रक जारी करते हुए कहा कि सभी दलों ने उनके समाज को सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल ई किया है। उनका कहना है कि बीजेपी ही एक मात्र पार्टी है जिसकी सरकार ने मेवाती समाज को मान, सम्मान, स्वाभिमान दिया है। खुर्शीद ने पूरे देश के मेवाती समाज से आह्वान किया कि एकजुट हो कर मोदी और योगी सरकार के हाथ मजबूत करें और वैसी सभी पार्टियों के छक्के छुड़ा दें जो उनके वोट का दोहन मात्र करती आई हैं।

कार्यक्रम में बड़ी तादाद में मेवाती समाज शामिल हुआ। इस मौके पर मुख्य रूप से खुर्शीद राजाका, पूर्व चेयरमैन मेवात विकास प्राधिकरण-हरियाणा सरकार, अनिशा मेवाती, चेयरमैन जिला परिषद मेवात, मोहम्मद कय्यूम मेवाती अध्यक्ष शहीद राजा हसन खां मेवाती ट्रस्ट अमरोहा, शिराज मेवाती गुलावठी बुलन्दशहर, एडवोकेट आकिल मेवाती हापुड़, मोहम्मद वसीम मेवाती, ज़फर मेवाती अलीगढ़, राहिल प्रधान खगोई से मौजूद रहे।

उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर, बरेली, अलीगढ़, मेरठ, रामपुर, मथुरा, पीलीभीत, मुरादाबाद, एटा लखीमपुर खीरी, बंदायू, आगरा, मुजफ्फरनगर, इटावा, शाहजहांपुर, लखनऊ, बिजनोर, रायबरेली उन्नाव, बाराबंकी, फर्रूखाबाद, सुल्तानपुर, अयोध्या, हाथरस, कासगंज, इलाहाबाद, गोंडा, अमेठी, औरैया, कानपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, अमरोहा संम्भल, गोरखपुर समेत लगभग 37 जिलों में बड़ी तादाद में सदियों से बसा हुआ है, जो बाबर, बलबन, अकबर, शाहजहां और अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए हरियाणा और राजस्थान की मेवात से पलायन करके उत्तरप्रदेश में आकर बसे थे।

वरिष्ठ मेवाती नेता खुर्शीद रजाका ने इस मौके पर कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे पूर्वजों ने हिंदुस्तान को आज़ाद कराने के लिये मुगलों और अंग्रेजों से अनेकों लड़ाई लड़ी, जिसकी वजह से हज़ारों मेवातियों को फांसी पर लटकाया गया था। शहीद राजा हसन खान मेवाती ने तो राणा सांगा के साथ मिलकर खानवा के मैदान में बाबर के खिलाफ जंग में शहीद होकर देशप्रेम का एक खूबसूरत इतिहास लिखा। लेकिन अफसोस की बात है कि आज़ादी के बाद किसी भी पार्टी की सरकार ने मेवाती समाज को सत्ता में भागीदार नहीं बनाया।

उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से सरकार चलाने वाली कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और बहुजन समाज पार्टी ने मेवाती समाज को कभी लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में नहीं भेजा और कभी भी किसी मेवाती को सरकार के बोर्ड, निगम और आयोग में कोई मेम्बर व चेयरमैन नहीं बनाया। जबकि मेवाती समाज अधिकतर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस पार्टी को ही वोट देता रहा। इस वजह से मुल्क की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला मेवाती समाज उत्तरप्रदेश में अपनी सियासी पहचान खो बैठा। जबकि हर चुनाव में सपा, राष्ट्रीय लोकदल,बसपा और कांग्रेस ने मेवाती समाज को बीजेपी का डर दिखाकर उनकी वोटों को ठगने का काम किया और मेवाती समाज तथाकथित सेक्यूलर पार्टियों का एक फिक्स वोट बैंक बनकर रह गया। इसलिये मेवाती समाज राजनैतिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास में पिछड़ता चला गया।

मेवाती समाज की अपील: आज वक़्त की जरूरत है अपनी राजनैतिक पहचान बताने के लिये अपनी वोट की ताकत से सेक्यूलर पार्टियों को सबक सिखाएं। क्योंकि जब सपा, राष्ट्रीय लोकदल, बसपा और कांग्रेस में हमारी भगीदारी नहीं है तो फिर ऐसी झूठी धोखेबाज पार्टियों को वोट क्यों दे। इसलिये हम उत्तरप्रदेश के समस्त मेवाती समाज से अपील करते हैं कि अपने सियासी वजूद को बचाने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में यदि मेवाती समाज का कोई उम्मीदवार है तो उसे जिताएं और सपा, राष्ट्रीय लोकदल, बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराने वाले उम्मीदवारों को अपना वोट और समर्थन दें ताकि भविष्य में कोई भी पार्टी मेवाती समाज की अनदेखी न कर सके।