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एक साथ 16 गोल्ड मेडल अर्जित करने वाली बुशरा बोली, “मैं तहज्जुदगुज़ार नमाज़ी हूं, यह कामयाबी मेरी दुआओं और मेहनत…”

बेंगलूरुः एक साथ 16 गोल्ड मेडल जीतने वाली कर्नाटक की बुशरा मतीन ने कहा कि सभी समस्याओं का हल नमाज पढ़ने में हैं और कठोर मेहनत, तहज्जुद (सुब्ह की अज़ान से पहले की नमाज़) में मांगी गई दुआ उनकी कामयाबी का राज हैं। बता दें कि बुशरा मतीन को 10 मार्च को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यपाल के हाथो से सम्मानित किया गया।

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कर्नाटक के जिला रायचूर की रहने वाली 22 वर्षीय छात्रा बुशरा मतीन ने कर्नाटक के विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त एसएलएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री हासिल की और इसमें 16 श्रेणियों में प्रथम स्थान हासिल करके 16 गोल्ड मेडल जीते हैं। 10 मार्च को बेलगावी में विश्वविद्यालय के 21वीं दीक्षांत समारोह में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और सूबे के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के हाथो से बुशरा मतीन को को एक साथ 16 गोल्ड मेडल और डिग्री से सम्मानित किया।

आवाज़ द वाइस की एक रिपोर्ट के अनुसार बुशरा ने शुरुआती शिक्षा सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल रायचुर से हासिल की। उन्होंने सभी परीक्षा में 90 प्रतिशत नम्बर से ज्यादा अंक के साथ कामयाबी हासिल की है। बुशरा मतीन कहतीं हैं, ‘‘मैं अल्लाह की बहुत शुक्रगुजार हूं जिसने मुझे इतनी कामयाबी और सम्मान से नवाजा। मुझसे ज्यादा खुश मेरे भाई और बहन है और कामयाबी का क्रेडिट भाई शेख तनवीरुद्दीन का जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं नमाज़ और तहज्जुद रोजाना पढ़ती हूं। मैंने तहज्जुद के समय अपनी कामयाबी के लिए बहुत दुआएं मांगी थीं, अल्लाह ने आज मेरी कामनाएं पूरी कर दी हैं, ये कामयाबी इन्हीं दुआओं का फल है, मेरी कामयाबी का राज नमाज हैं।’’ भाई-बहन में तीसरे नम्बर पर रहने वाली बुशरा कहतीं हैं, ‘‘मेरा ईमान है कि नमाज सभी समस्याओं का हल है, नमाज की पाबंदी बहुत जरूरी है। तहज्जुद के वक्त मांगी जाने वाली हर दुआएं कबूल होती हैं।’’

दीक्षांत समारोह में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और सूबे के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के हाथो बुशरा मतीन सम्मानित

बुशरा आगे कहती हैं कि लड़कियों को चाहिए कि वह अपनी सलाहियतों को पहचानें, आप खूब मेहनत करें। एक सवाल के जवाब में बुशरा मतीन बताती हैं, ‘‘मैं चार साल से हिजाब पहनकर कॉलेज जाती रही हूं लेकिन कभी किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है, ये हमारा संविधानिक और मौलिक अधिकार है।’’

बुशरा अपने भविष्य के बारे में बताती हैं कि ‘‘मैं सिविल सेवा में जाना चाहती हूं और इसके लिए मैं तैयारी कर रही हूं।’’ बुशरा मतीन के पिता एक सरकारी इंजीनियरिंग हैं, वह अपनी बेटी की कामयाबी पर खुशी का इजहार करते हुए कहते हैं कि माता-पिता को चाहिए कि वह लड़कियों को पढ़ाई में ज्यादा मौका दें, जिससे वह अपनी सलाहियतों को दुनिया के सामने पेश कर सकें।