सुल्ली के बाद बुल्ली: कार्रावाई नहीं होने से बढ़े हैं उत्पाती, लम्पट, नफरती और सांप्रदायिक लोगों के हौसले…

एक बार फिर बुल्ली बाई गिटहब नाम के प्लेटफॉर्म पर भारत की चर्चित मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाईं गई जैसे ही आप इसे खोलते हैं सामने एक मुस्लिम महिला का चेहरा आता है, जिसे बुल्ली बाई नाम दिया गया है। टि्वटर पर मजबूत प्रजेंस वाली मुस्लिम महिलाओं का नाम इसमें इस्तेमाल किया गया है। उसकी तस्वीर को बुल्ली बाई के तौर पर प्रदर्शित किया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं, ऐसे ही नाम वाले एक टि्वटर हैंडल से इसे प्रमोट भी किया जा रहा है। इस टि्वटर हैंडल पर खाली सपोर्टर की फोटो लगी है और लिखा है कि इस एप के जरिए मुस्लिम महिलाओं को बुक किया जा सकता है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

यह पहली बार नहीं हो रहा है , इससे पहले कि इसी तरह का एक मामला 4 जुलाई 2021 को सामने आया था। जब Github प्लेटफॉर्म से Sulli Deals ऐप को होस्ट किया गया था। इसकी टैग लाइन थी – Suli Deal of the day. जहां मुस्लिम महिलाओं की फोटो को पोस्ट किया गया था। बता दें कि सुल्ली एक अपमान जनक शब्द है, जिसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता रहा है। तब ५७ सांसदों ने सरकार से इस पर कड़ी कार्यवाही की मांग की थी, महिला आयोग ने भी कार्यवाही का आश्वासन दिया था . जाहिर है जब पांच महीने में कोई कार्यवाही हुई नहीं तो उत्पाती, लम्पट, नफरती और सांप्रदायिक लोगों के हौसले और बढ़ गए .

इस बार  दक्षिणपंथी प्रचार  और नफरत फ़ैलाने वाली वेबसाईट ओप इंडिया ने इसे प्रमुखता से कवर करते हुए इसे खालिस्तान समर्थकों की हरकत बताते हुए सिखों को संदेह के दायरे में लाने का प्रयास किया है . यह साईट किसान आन्दोलन में भी सिखों कि उपस्थिति को खालिस्तान से जोड़ कर ख़बरें फैलती रही हैं .

दिल्ली  पुलिस ने एक महिला पत्रकार की शिकायत पर FIR दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। साउथ ईस्ट जिले के साइबर पुलिस थाने में IPC की धारा 509 के तहत अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। मुंबई पुलिस भी शिवसेना की राज्यमसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत पर ऐक्शेन ले रही है।  सरकार ने इस एप और इसके ट्विटर खाते पर भी पाबन्दी लगा दी है.

समझा लें कि दोनों ऐप्सभ का मकसद एक ही है- मुस्लिम महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण। दोनों ऐप्स  के नाम मुसलमानों के लिए इस्तेैमाल किए जाने वाले आपत्तिजनक शब्दऔ हैं। दोनों पर ही मुस्लिम महिलाओं की तस्वी रें और डीटेल्सल अपलोड की गईं। महिलाओं के ट्विटर/इंस्टााग्राम/फेसबुक से जानकारियां और पर्सनल फोटो चोरी कर डाली गईं।

गिटहब एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है। यह यूजर्स को एप्स क्रिएट करने और उन्हें शेयर करने की सुविधा देता है। गिटहब पर कोई भी पर्सनल या एडमिनिस्ट्रेशन नाम से एप बना सकता है। इसके साथ ही आप गिटहब मार्केटप्लेस पर अपना एप शेयर करने के साथ बेच भी सकते हैं।

अब सवाल उठाता है कि पांच महीने पहले सुल्ली एप पर सरकार ने जब कार्यवाही नहीं की तो नामीगिरामी मुस्लिम महिलाओं ने अदालत का रूख क्यों नहीं किया ? जान लें कि इस देश में मुसलमानों को कथित मुसलमान  रहनुमा ही बर्बाद कर रहे हैं – मौलाना साद पर हल्ला हुआ लेकिन उनकी कभी गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन उनके करीब के गाँव के मौलाना जेल में हैं – उमर गौतम हो या कश्मीर में खुर्रम परवेज या मुनीर , सभी के पीछे वे मुसलमान ही हैं जो भीतर खाने  में कौम के खिलाफ सुरक्षा बालो और ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए दलाली करते हैं. सुल्ली एप मामले मने भी एक ऐसा ही मुस्लिम वकील है – जिसने सी ए ए  आन्दोलन में लोगों को क़ानूनी मदद के नाम अपर सत्रह लाख का चन्दा एकत्र किया और खुद पुलिस से पिट गया और उस पर भी कर्य्वाहे नहीं की , असल में सुल्ली एप में बदनाम की गई महिलायें इन्ही वकील साहब के फेर में पड  गईं और जनाब ने कोई कदम उठाये नहीं.

जान लें जिस तरह इस बार बुल्ली बाई के जरिये मुसलमान और सिखों में भेद करवाने की साजिश हुई है, कल आप भी इस साजिश के शिकार हो सकते हैं. इसके खिलाफ आवाज़ उठाइये, हर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाइए ऐसी पीड़ित महिलाओं का साथ दीजिये और और ऐसे दलालों को बेनकाब करिए जो मन्न्वाधिकार की दूकान खोल कर लोगों का नाजायज फायदा उठाते हैं.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)