पंडित जी के साथ बुलडोजर न्याय: यह समझना बहुत जरूरी है कि जब कानून का शासन खत्म हो जाए तब क्या होता है?

आज दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर चला। पंडिताई करने वाले रमन झा यहां पान की दुकान चलाते थे। उनकी दुकान 1985 से थी। यानी मेरे जन्म से पहले। झा जी के पास MCD का लाइसेंस भी था। झा जी चिल्लाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल आदेश दिया कि कार्रवाई रोकी जाए लेकिन अधिकारियों ने लिखित आदेश न पहुंचने का हवाला देकर तमाम दुकानें और घर तोड़ दिए। झा जी की दुकान भी तोड़ दी गई।

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थोड़ी ही देर में याचिकाकर्ता दोबारा कोर्ट पहुंचे कि हजूर, आपके आदेश के बाद भी बुलडोजर रुक नहीं रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा आदेश दिया कि तुरंत रोको। रजिस्ट्री को आदेश दिया कि कमिश्नर को आदेश तुरंत पहुंचाओ। ध्वंस रुकने के बाद भी झा साब मीडिया वालों के सामने चिल्लाते रहे कि मेरे पास पक्के कागज हैं।

अगर झा साब की दुकान पक्की थी, उनके पास परमिट था तो उनकी दुकान क्यों गिराई गई? उनके पेट पर लात क्यों मारी गई? क्योंकि आपकी सरकार अहंकार और परसंताप में अंधी हो चुकी है। वह कानून का सम्मान नहीं कर रही है। वह किसी को सजा देने के लिए अदालत के आदेश का इंतजार नहीं कर रही है। सरकार खुद ही न्यायाधीश बन गई है। सरकार अपराध कर रही है। वह समझती है कि वह मुसलमानों को प्रताड़ित करके हिंदुओं को खुश कर लेगी। बुलडोजर चलता है तो बहुत से हिंदू ताली बजाते हैं, बहुत लोग तारीफ करते हैं। आज दिल्ली में गुप्ता जी, झा जी, शर्मा जी समेत कई हिंदू भी रेल दिए गए।

आजकल चुन चुनकर मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाकर कट्टर हिंदुओं को बहलाया जा रहा है कि मुल्ले टाइट हैं। अगर कानून का शासन नहीं रहेगा, अगर अराजक समाज बनेगा, अगर कानून और अदालत का सम्मान नहीं किया जाएगा तो उसके शिकार सब होंगे। एक तालिबानी समाज में कोई सुरक्षित नहीं रहता। यह सबक लेकर अपने संविधान, अपने देश और समाज के साथ एकजुट होने का समय है।