नवेद शिकोह
सैकड़ों वर्षों से आम भारतीय पंसारियों के यहां से उपलब्ध भारतीय जड़ी-बूटियों का सेवन कर रहे हैं। हमेशा से ही हम सब और हमारे बाप-दादा आर्युवैदिक चिकित्सा पद्धति अपनाते रहे हैं। योगा करते रहे। योग की महत्ता को समझते रहे। दादी-नानी के घरेलू नुस्खे इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन इधर ढाई दशक से बाबा रामदेव ने घरेलू नुस्खों, मसालों, शहद और जड़ी-बूटियों इत्यादि की जमाखोरी कर उसपर पतांजलि का टैग लगाकर उसे मंहगे दामों पर बेच कर खरबों रुपए कमाएं।
लेकिन कभी किसी भी मुश्किल वक्त में या कोरोना जैसी महामारी मे भी इसने देश को एक रुपए की भी मदद नहीं की। बड़े न्यूज़ चैनलों को करोड़ों रुपए के विज्ञापन देकर अपना प्रचार करता रहा। और ऐसे में इसके तमाम कारनामों को देखकर मीडिया मुंह बंद करे रही।
और अब कोरोना काल के इस मुश्किल वक्त में मोदी सरकार की सबसे सशक्त एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को गलत बता कर टूलकित चला रहा है। दुनिया में हमारे देश के चिकित्सकों को बदनाम कर रहा है। झूठी अफवाह फैलाकर भारतीय कोरोना वैक्सीन को बदनाम कर रहा है। कह रहा है कि एक हजार भारतीय डाक्टर डबल वैक्सीन लगवाकर मर गए। वैक्सीन के प्रति डर पैदा करने और लोगों को वैक्सीन न लगवाने का संदेश देने वाले ऐसे गलत और बेबुनियाद बयान जघन्य अपराध हैं। जनता को भ्रमित करने की शाजिश है। ये बाबा वैक्सीन को ही नहीं भारतीय चिकित्सकों को भी खूब बदनाम कर रहा है।
जिन्हें हम धरती का भगवान कहते हैं। जिन्होंने जान पर खेल कर भारत की एक सौ पैतीस करोड़ की जनता की जान बचाई। जिनके योगदान का अहसास करते हुए, जिनका आभार व्यक्त करते हुए.. जिनको प्रोत्साहित करते हुए हम भारतवासियों ने थाली और ताली बजाई.. दीए जलाए.. उन भारतीय चिकित्सकों को ये अप्रत्यक्ष रूप से हत्यारा बता रहा है। कह रहा है कि पत्रकार रोहित सरदाना और उन जैसे हजारों लोगों को ज्यादा दवाएं और इंजेक्शन लगा कर डाक्टरों ने मार दिया। ये इस तरह के कृत्यों और बयानों से मोदी सरकार को और देश को बदनाम कर रहा है। इसके ऐसे बयानों से लोगों की जिन्दगियां बचाने का संघर्ष कर रहे देश के चिकित्सकों में काफी रोष है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी इसपर नाराजगी ज़ाहिर की। इसके बाद ये माफी मांग रहा है। क्या इसका गुनाह माफी लायक़ है?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार ये उनके निजी विचार हैं)