नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन 52 किलोग्राम) और नीतू 48 किलोग्राम) ने बुल्गारिया के सोफिया में 73वें स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में रविवार को अपने-अपने फाइनल मैच को जीतकर गोल्ड मेडल हासिल किए। नीतू ने फाइनल में इटली की एरिका प्रिसियांडारो को आसानी से हराकर गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने पूर्व युवा विश्व चैंपियनशिप कांस्य-पदक विजेता पर 5-0 से जीत हासिल की।
उन्होंने अपनी लंबी पहुंच का पूरा फायदा उठाकर शानदार जवाबी हमले किये। निकहत ने तीन बार की यूरोपीय चैम्पियनशिप की तीन बार की पदक विजेता यूक्रेन की तेतियाना कोब को 4-1 से पटखनी दी। जरीन को हालांकि मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को हावी होने का मौका नहीं दिया। राष्ट्रीय महिला टीम के कोच भास्कर भट्ट ने कहा, ‘दोनों ने पूरी तरह से अलग शैली का प्रदर्शन किया लेकिन दोनों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।’
उन्होंने कहा, ‘निकहत को उनकी प्रतिद्वंद्वी ज्यादा मौके नहीं दे रही थी लेकिन उन्होंने पूरे समय करीब से मुकाबला करना पड़ा और उसने सटीक पंच (मुक्के) लगाते हुए अच्छा प्रदर्शन किया।’ भारत ने इस प्रकार मौजूदा सत्र को तीन पदकों के साथ टूर्नामेंट का समापन किया। इन दोनों के अलावा नंदिनी (+81 किलोग्राम) कांस्य के साथ देश की तीसरी पदक विजेता रही। कई बार की राष्ट्रीय पदक विजेता हैदराबाद की जरीन 2019 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में गोल्ड मेडल जीत चुकी है।
वह इस टूर्नामेंट में दो बार स्वर्ण जीतने वाली इकलौती भारतीय मुक्केबाज हैं। इस 25 साल की खिलाड़ी ने जीत दर्ज करने के बाद मुस्कुराते हुए कहा, ‘आप मुझे स्ट्रैंड्जा की रानी कह सकते हैं। मैं अभी बहुत खुश हूं।’ उन्होंने कहा, ‘यह दोनों गोल्ड मेडल में से अधिक खास है क्योंकि मैंने सेमीफाइनल में ओलिंपिक पदक विजेता (तोक्यो में रजत पदक जीतने वाली तुर्की की बस नाज काकिरोग्लू) को हराया था। तीन बड़ी प्रतियोगिताएं (विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल) कतार में है। ऐसे में इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ेगा।’
नीतू दो बार की पूर्व युवा विश्व चैंपियन के साथ एशियाई युवा चैंपियनशिप में पूर्व गोल्ड मेडल विजेता भी हैं। हरियाणा की 21 साल की यह मुक्केबाज भिवानी के धनाना गांव से हैं। उनके पिता ने बेटी को मुक्केबाजी की कोचिंग दिलाने के लिए राज्य सरकार की नौकरी से बिना वेतन के तीन साल की छुट्टी ली थी। नीतू ने जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया तो उन्होंने चंडीगढ़ में फिर से अपनी नौकरी शुरू कर दी।
भारत ने पिछले चरण में दो पदक जीते थे जिसमें दीपक कुमार ने रजत और नवीन बूरा ने कांस्य पदक प्राप्त किया था। पुरुष टीम का प्रदर्शन इस बार काफी खराब रहा जिसमें सात में से कोई भी पदक दौर में नहीं पहुंच सका। स्ट्रैंड्जा मेमोरियल यूरोप की सबसे पुरानी मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं में से एक है और इसमें दुनिया भर के कोटी के मुक्केबाज हिस्सा लेते है। इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2019 में आया था। जब अमित पंघाल, निकहत और मीना कुमारी देवी ने स्वर्ण जीते थे। इसके अलावा टीम ने एक रजत और तीन कांस्य पदक अपने नाम किया था। पदकों की संख्या के मामले में भारत ने 2018 में सबसे ज्यादा 11 पदक जीते थे लेकिन इसमें सिर्फ दो स्वर्ण था।
सभार नवभारत