बेंगलुरू: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि भारतीय संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को ‘बनाए रखने या हटाने’ पर बहस करना चाहते हैं। भाजपा नेता ने धर्मनिर्पेक्षता शब्द पर बहस कराने की मांग के बहाने मुसलमानों पर भी आरोप मढ दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमान ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और सांप्रदायिक मानसिकता के साथ काम करते हैं।
सीटी रवि ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द को बनाए रखने या हटाने पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने निहित स्वार्थ के तहत जोड़ा था।
उन्होंने कहा, “ डॉ अम्बेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों द्वारा तैयार किए गए संविधान ने ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को शामिल करने की आवश्यकता महसूस नहीं की। उन्हें लगा कि उनके लिए इसे संविधान में शामिल करना अनावश्यक है, क्योंकि भारत स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष है, तो क्या इसका मतलब है कि डॉ आंबेडकर सांप्रदायिक थे?”
उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमान ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और सांप्रदायिक मानसिकता के साथ काम करते हैं। उन्होंने कहा, “हिंदू मंदिरों में आप गांधी जी का पसंदीदा ‘ईश्वर अल्लाह तेरे नाम’ गाना सुनते हैं, लेकिन क्या हमने इसे मस्जिदों में सुना है? क्या आपने मुसलमानों को हिंदू-स्वामित्व वाली दुकानों से मांस खरीदते देखा है? लेकिन मुसलमान चाहते हैं कि दूसरे उनकी दुकानों से खरीदें।”
उन्होंने कहा कि 10 फीसदी मुसलमान उन इलाकों में सुरक्षित हैं, जहां हिंदू 90 फीसदी हैं, लेकिन जहां मुसलमान 90 फीसदी हैं, वहां हिंदू असुरक्षित हैं। यह ही सच्चाई है।