इस्लाहुद्दीन अंसारी
जितनी वो त्याग की मूरत हैं उतनी ही वो साहस और संयम की जीती जागती मिसाल भी हैं। दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतंत्र के शीर्ष पद को दो दो बार त्याग देना और दुनियाँ की दो सबसे चर्चित राजनैतिक हत्याओं में अपनी माँ जैसी सास और पति की ख़ून से सनी और चीथड़ों में बिखरी लाश को देखने के बावजूद उनकी राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाने की क्षमता और साहस करने वाले को अगर किसी दो शब्दों में लिखा जाए तो यकीनन उसे “सोनिया गांधी” ही लिखा जाएगा।
भले ही वो भारतीय मूल की नहीं हैं पर भारत के मूल सिद्धांत, रीति रिवाजों, भारतीयता को जिस सलीके से उन्होंने समझा, अपनाया, जिया, निभाया और निभाती ही चली जा रही हैं वो अपने आप में हमारे लिये गर्व की बात है। देश अपनाया तो उसका पूरा हक़ अदा किया, कांग्रेस की कमान अपने हाथ में ली तो उसे भंवर से निकालकर दो बार सत्ता के शीर्ष तक़ पहुंचाया, राजनीति में गांधी नेहरू परिवार की विरासत और मान मर्यादा को बरकरार रखने के लिये खूद का पूरा जीवन बेहद सलीके से खर्च कर दिया।
खुद के ऊपर, खुद के परिवार को ऊपर हो रहे असंख्य व्यक्तिगत हमलों के बावजूद भी उन्होंने कभी खुद को विचलित होने नहीं दिया, और यही सबक़ उन्होंने राहुल को दिया कि “जो विचलित हो जाते हैं वो इतिहास नहीं लिखते बल्कि इतिहास हो जाया करते हैं”। और जो लोग ये सोच सोच कर हैरान और परेशान होते हैं कि बर्दाश्त की हद तक़ व्यक्तिगत हमले झेलने के बाद भी कैसे राहुल का व्यक्तित्व दिनोंदिन निखरता चला गया उन्हें नहीं भूलना चाहिए की राहुल की माँ का नाम सोनिया गांधी है और वही राहुल की ऊर्जा एवं प्रेरणास्रोत भी हैं।
त्याग, बलिदान, संयम, साहस और समझदारी की इस जीती जागती मिसाल सोनिया गांधी का आज जन्मदिन है, उन्हें जन्मदिन की ढेर सारी मुबारक़बाद । इसी दुआ के साथ कि वे स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहिए। हमेशा गौरव के इस भाव से भरी रहें कि आपके परिवार ने देश के लिए शहादतें दी हैं। और उन्होंने अपने त्याग और साहस की दम पर इन शाहदतों का मान बरकरार रखने में अपना पूरा जीवन खपा दिया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)