अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा कानपुर का बिल्हौर तहसील क्षेत्र

आजादी के 75 साल बाद भी नही बन सका बस अड्डा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

सत्ता पक्ष के विधायक, सांसद होने के बाद भी मूलभूत सुविधा से जूझ रहे इलाकाई नागरिक

सर्दी, गर्मी, बरसात में खुले आसमान तले बस का इंतजार

शौचालय, पेयजल व छांव से महरूम तहसील के चारों ब्लाक

 

जिया अहमद

बिल्हौर। आजादी के 75 साल बाद भी कानपुर जिले की बिल्हौर तहसील क्षेत्र के नागरिकों को रोडवेज बस स्टैंड न होने से भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। बस स्टैंड के तौर पर यहां केवल सड़क का किनारा है, जहां पर खड़े होकर बस का इंतजार किया जा सकता है। सर्दी, गर्मी व बारिश के मौसम में खुले आसमान तले बस का इंतजार करते नागरिकों को समस्या से जूझना पड़ता है, हालांकि, सत्ता पक्ष के विधायक, सांसद बनने के बाद यहां बस अड्डा बनने की उम्मीद जगी थी, लेकिन वह भी वक्त के साथ साथ टूटती जा रही है।

देश की आजादी के बाद अनगिनत विकास कार्य हुए और समय के साथ देश की तस्वीर भी बदलती रही, इस क्रम में सबसे लम्बे शेरशाह सूरी मार्ग किनारे बसा बिल्हौर तहसील के रूप में तो विकसित हुआ लेकिन 75 वर्ष के बाद भी इसे नागरिक सुविधा के लिहाज से एक रोडवेज बस अड्डा नहीं उपलब्ध हो सका। इसके अलावा इलाके के अरौल, शिवराजपुर, चौबेपुर व ककवन में भी बस स्टैण्ड के तौर पर सड़क का किनारा मौजूद है। यहां के नागरिक सड़क किनारे खड़े होकर बस की राह तकते हैं। इस दौरान वे मौसम की मार भी खाते है। सर्दी, गर्मी व बरसात में खुले आसमान तले खड़े होकर बस का इंतजार करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। इसके अलावा शौचालय की महरूमी भी एक बड़ी समस्या है, इससे पुरुष की अपेक्षा महिलाओं के सामने ज्यादा कठिनाई है। पेयजल के लिए आसपास इंडिया मार्का नल है, लेकिन पड़ोसी मदिरा की दुकानों के ग्राहक इस पर अपनी हुकूमत कायम किए रहते हैं। इसके चलते इलाकाई नागरिक असुविधा के मकड़जाल में फंस कर बस का सफर तय कर रहे हैं।

बस ठहराव के स्थान पर नहीं कोई सांकेतिक बोर्ड

बिल्हौर में किसी भी क्षेत्र में बस स्टैण्ड की पहचान के लिए सांकेतिक बोर्ड नहीं मौजूद है। सड़क किनारे जगह-जगह यात्री खड़े नजर आते है, लेकिन नियत स्थान न होने के चलते गुजरती बस उन्हें टाटा करते चली जाती है। आए दिन अनजान लोग ऐसी दुविधा के शिकार होते दिखाई पड़ते है। जानकारों के मुताबिक कुछ क्षेत्रों में बोर्ड लगवाए गए, लेकिन वे अनुचित प्रचार प्रसार के पोस्टर से लैस रहे और उपयोगिता के अभाव में नशेबाजों व कबाड़ एकत्रित करने वालों की भेंट चढ़ गए।

शराब ठेकों के करीब यात्री करते हैं बस का इंतजार

कस्बा बिल्हौर के साथ अरौल, शिवराजपुर, चौबेपुर व ककवन में अधिकांश बस स्टैण्ड संवेदनशील स्थान पर बने है। इन स्थानों के करीब देशी अंग्रेजी मदिरापान की दुकानें फलफूल रहीं है। इसमें अक्सर नशेबाजों के मध्य वाद विवाद गहराते है और इसका खामियाजा बस के इंतजार में खड़े यात्रियों को भुगतना पड़ता है। मदिरा की दुकानों पर सुबह से देर शाम तक ग्राहकों का आवागमन रहता हैं, इस दौरान महिलाओं को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है, उनका अकेला खड़ा होना दूभर होता है। ऐसे आलम में स्टॉप पर देर रात आने-जाने वाले यात्रियों के साथ घटनाओं की आशंका बनी रहती हैं। सुरक्षा के लिहाज से सावधानी नाम मात्र दिखाई पड़ती है।

बस अड्डे के करीब पालिका का टीनशेड धराशाई

बिल्हौर नगर पालिका ने पिछली पंचवर्षीय में आजाद नगर से गुजरते नाले को पाट कर सड़क व मार्केट का निर्माण कराया था। इसमें पार्किंग के लिहाज़ से छूटे स्थान पर छायादार टीनशेड व सीमेंटेड कुर्सी लगवाकर इलाकाई नागरिकों के लिए अस्थाई सुविधा उपलब्ध कराई थी साथ ही पेयजल के लिहाज से एक फ्रीजर भी लगाया गया था। इससे यात्रियों और राहगीरों को बेहतरीन सुविधा मुहैया हो रही थी। हालाँकि यह बस स्टैण्ड से कुछ दूरी पर था, इसके चलते राहगीरों के लिए यह बेहतरीन साबित हो रहा था। वहीं कुछ समय पहले अचानक इस टीनशेड को धराशाई कर किनारे लगा दिया गया और इसके साथ नागरिकों के लिए बस स्टैण्ड के समीप ठहरने का एक मात्र स्थान भी खत्म हो गया।

चौ0 असर हुसैन के पुरखों ने बस अड्डे के वास्ते दान की थी जमीन

बिल्हौर तहैल के अरौल इलाके में बस अड्डा बनाने के लिए बिल्हौर नगरपालिका के चेयरमैन रहे चौ0 असर हुसैन के पुरखों ने सरकार को जमीन दान में दी थी। जिस पर बरसों पहले कुछ निर्माण कार्य भी कराया गया था। यहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दबाव में बसों का ठहराव भी कुछ दिन हुआ। लेकिन बाद में सब जहां का तहाँ थम गया। हाँ मौके पर बस अड्डे के अवशेष जरूर मौजूद है। इस पर स्थानीय लोग अपनी दुकानें चलाते नजर आ रहे हैं।

(अभिषेक द्विवेदी, अधिवक्ता)

अरौल में चौ० असर हुसैन के पुरखों ने बस स्टैण्ड के वास्ते बड़ी जमीन दान में दी थी, वहां बस अड्डा बना हुआ है, जिस पर सब्जी व किराने की दुकानें चल रही हैं। बसों का ठहराव न होने के चलते इसकी दुर्दशा खराब हो गई। इलाकाई नागरिकों को रोडवेज का ठहराव न होने का खामियाजा भुगतना पड़ता है, अरौल के नाम यात्रियों को बैठाया नही जाता है, और अगर वे बैठ जाएं तो उन्हे टिकट नहीं दिया जाता है। कई कठिनाइयां यात्रियों को सहनी पड़ रही हैं। (अभिषेक द्विवेदी, अधिवक्ता)

अशोक रावत, सांसद मिश्रिख लोकसभा

इस समस्या की जानकारी आपके द्वारा मिली है, इस पर सम्बन्धित विभाग को अवगत कराया जाएगा और जनहित की प्रबल आवश्यकता के चलते जल्द ही बस स्टैण्ड की व्यवस्था कराई जाएगी। (अशोक रावत, सांसद मिश्रिख लोकसभा)