आलोक
बीजेपी इस बार नीतीश कुमार के साथ जो गेम खेलने जा रही है वो लम्बी योजना का नतीजा है, सपाट सोचने से लग सकता है कि ये चिराग पासवान की रणनीति है लेकिन थोड़ा दिमाग पे जोर डालने से यही पता चल रहा है कि चिराग, नीतीश कुमार के लिए मोदी & शाह कंपनी का वायरस साबित होने जा रहा है। जिसका एन्टी वायरस नीतीश के लिए इतने कम समय मे ढूंढना आसान नहीं होगा। फिलहाल NDA टूट चुका है, आज लोजपा संसदीय दल की बैठक हुई, जिसमें जो प्रस्ताव पारित हुआ, उसका लब्बोलुआब ये है कि लोजपा(रामविलास पासवान की पार्टी) नीतीश को NDA का मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं मानेगी। वो बीजेपी के साथ बिहार का चुनाव लड़ेगी, नीतीश के कैंडिडेट के खिलाफ अपना कैंडिडेट उतारेगी।
बिहार के कुल 243 विधानसभा सीटों में से 143 सीटों पर कैंडिडेट खड़ा करेगी, बीजेपी के 100 सीट पर उसका तालमेल रहेगा। इसका मतलब ये हुआ कि नीतीश, बीजेपी के साथ गठबंधन कायम रखती है तो उसे 143 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा, या लड़ाना होगा। ये तो हुई लोजपा संसदीय दल के प्रस्ताव की बात, अगर इन सभी बातों की गहराई में जाए तो एक बात साफ है कि अंतिम-अंतिम समय तक बीजेपी ने दबाब बनाने के बजाए लोजपा को पत्ता खोलने के लिए रुकवाए रक्खा, ताकि नीतीश के पास कोई विकल्प ही न बचे।
पिछले कुछ समय से नीतीश के खिलाफ मुखर रहने वाला , और बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट का नारा देने वाला चिराग पासवान, इसी योजना पे काम कर रहा था। बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट में संघियों के शब्दों की गंध आती है, ये चिराग के स्लोगन कम मोदी की छाप ज्यादा लगता है। ये बात समझने में नीतीश को गलती कैसे हुई या जान-बूझ कर इग्नोर किया, या पेट मे दांत रखने वाले नीतीश के पास कोई दूसरी योजना तैयार है! फिलहाल नीतीश के लिए ये बिहार की चुनावी नैया पार करना आसान नहीं होगा।
इधर बीजेपी पर भी निर्भर करता है कि वो लोजपा के प्रस्ताव को किस तरह लेती है, वो पासवान को केंद्रीय मंत्री मंडल में रखती है, या बाहर करती है। अगर कुछ नहीं करती तो समझना पड़ेगा कि नीतीश के लिए चक्रव्यूह रच दिया गया है, नीतीश अर्जुन बनेंगे या शहीद होंगे, ये तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल मौसम वैज्ञानिक के बेटे ने नीतीश के लिए पतझड़ सा माहौल बना दिया है।