भीम आर्मी के ‘रावण’ ने लिखा मायावती के नाम खुला पत्र, कहा ‘बहुजन समाज के लिए यह कठिन दौर है।’

Rawan Maya II

नई दिल्लीः भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने बसपा सुप्रीमो मायावती के नाम एक खुला ख़त लिखा है। उन्होंने इस ख़त को अपने ट्विटर अकाऊंट पर पोस्ट किया है। गौरतलब है कि मायावती चंद्रशेखर आज़ाद रावण पर अक्सर हमलावर रहती रही हैं। इसी साल संपन्न हुए चुनाव में मायावती ने रावण को कांग्रेसी बताया था। उधर हाल ही में जेल से छूटने के बाद भीम आर्मी चीफ ने मायावती को खुला ख़त लिखकर समाज के मुद्दों पर बात करने के लिये आमंत्रित किया है।

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चंद्रशेखर रावण ने इस ख़त में लिखा है कि मैं विशेष परिस्थिति में यह पत्र आपको लिख रहा हूं। इस समय भारत एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। देश में सांप्रदायिक-जातिवादी शक्तियों का बोलबाला बढ़ रहा है. 2014 और फिर 2019 में लगातार भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों में बहुमत से सरकार बनाई है। 2014 से 2019 के बीच बीजेपी की ताकत बढ़ी है। दक्षिण भारत को छोड़कर लगभग बाकी देश में उसका दबदबा मजबूत हुआ है। बहुजन आंदोलन के सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की वापसी हुई है।

Rawan Letter

रावण ने कहा है कि बहुजन समाज के लिए यह कठिन दौर है। बीजेपी के शासन में बहुजन समाज पर अत्याचार बढ़ा है और उसके अधिकार छीने गए हैं। आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं. इन वर्गों को दिए गए संवैधानिक और कानूनी संरक्षण को छीनने की कोशिशें भी लगातार जारी है। ऐसे समय में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए देश जिन शक्तियों और विचारों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है, उसमें बहुजन विचारधारा प्रमुख है। यह विचारधारा ही देश में सांप्रदायिक और जातिवादी शक्तियों को सही जवाब देकर वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना कर सकती है. इस विचारधारा के पीछे हमारे कई महापुरुषों और विदुषी महिला नेत्रियों का मार्गदर्शन रहा है, जिनमें बुद्ध, कबीर, नानक, रविदास, चोखामेला, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, नारायणा गुरु, साहूजी महाराज, पेरियार, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रमुख हैं।

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भीम आर्मी चीफ ने कहा कि इस विचारधारा को आगे बढ़ाने में वर्तमान दौर में जिस महापुरुष का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनमें सबसे बड़ा नाम मान्यवर कांशीराम का है. उन्होंने देश के बहुजनों को शासक बनने का सपना दिखाया और उस सपनों को साकार करने का रास्ता भी बताया। उनके समय में बीएसपी न सिर्फ ताकतवर बनी बल्कि बहुजन आंदोलन भी  मजबूत हुआ। उनके सहयोगियों की टीम के सदस्य के रूप में इस आंदोलन में आपका भी महत्वपूर्ण योगदान था।

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चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने कहा कि लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण आज वह धारा सूखती नजर आ रही है। पूरे देश पर बहुजनों का राज कायम होगा, ऐसा सपना अब कमजोर पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि देश के बहुजन शासक बनना नहीं चाहते या कि देश में शोषण और उत्पीड़न खत्म हो गया है। लेकिन राजनीतिक परिस्थितियां कुछ ऐसी बन गई हैं कि कांशीराम साहब ने हजारों जातियों को जोड़कर बहुजन समाज बनाने का जो सपना देखा था, उसकी आंच कमजोर पड़ गई है।

ऐसे समय में जरूरी है कि बहुजन आंदोलन अपने अंदर झांके और इस बात का आत्म निरीक्षण करे कि कहीं हममें ही कोई कमी तो नहीं आ गई है, कहीं ऐसा तो नहीं है कि जातिवादी शक्तियों की बदलती रणनीति की सही जवाबी रणनीति बनाने में हमसे कोई चूक हो रही है? या फिर मान लिया जाए कि देश में बहुजन आंदोलन का कोई भविष्य नहीं है?

उन्होंने मायावती को लिखे इस खत में कहा कि मेरा मानना है कि भारत की वर्तमान समस्याओं का समाधान सिर्फ बहुजन विचारधारा के पास है. अगर कोई समस्या है तो उसके लिए हमें अपने अंदर झांकना होगा। मेरा निवेदन है कि इस बारे में विचार करने के लिए हमें सभी मतभेद भुलाकर एक साथ बैठना  चाहिए और विचार-विमर्श करना चाहिए। क्योंकि विचार-विमर्श से ही रास्ता खुलता है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि बहुजन आंदोलन की धार कमजोर पड़ने का असर बहुजन समाज के लोगों पर बुरा पड़ रहा है. उनके संविधानिक अधिकारों पर सरकार लगातार हमला कर रही है. उसका जवाब देने की जरूरत है. इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बहुजन एकता है और बहुजन राजनीति को धार देकर ही इस काम को किया जा सकता. मान्यवर कांशीराम की कोर टीम की सदस्य होने के कारण आपके अनुभव हम सब के लिए महत्वपूर्ण हैं. उम्मीद है कि इस चर्चा में शामिल होने के लिए आप समय निकाल पाएंगीं।