नई दिल्ली: आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने यूपी के मुख्यमंत्री के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने अपने गृहजनपद सहारनपुर में भ्रष्टाचार के राजकीय मेडिकल कॉलेज, सहारनपुर में वित्तीय अनियमितता के दोषी प्रधानाचार्य पर कार्यवाही ना किए जाने और उनकी दोबारा बहाली पर सवाल उठाए हैं। अपनी चिट्ठी में चंद्रशेखर ने कहा कि राजकीय मेडिकल कॉलेज, सहारनपुर में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है। पिछले साल 15 मई 2020 को जब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तो मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अरविंद त्रिवेदी को इसे संभाल न पाने एवं अपने कर्तव्यों का उचित रूप से निर्वहन न कर पाने के आरोप में हटा दिया गया था। बाद में इन पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा।
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख ने कहा कि उक्त संबंध में आयुक्त सहारनपुर द्वारा जांच की गई। जांच समिति ने मामले की जांच कर 04/07/2020 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अरविन्द त्रिवेदी एवं अन्य कर्मचारी दोषी पाए गए। जांच आख्या में स्पष्ट रूप से लिखा गया कि दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर अन्य विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इस संबंध में विधिक कार्यवाही हेतु जांच आख्या को मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को भेज दिया गया था। दोष सिद्ध होने के बावजूद तत्कालिक प्रधानाचार्य अरविंद त्रिवेदी पर अभी तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई। जब कोरोना केस कम थे तब इन्हें हटाया गया था। लेकिन अब कोरोना केस बहुत ज्यादा हैं तो विधिक कार्यवाही करने के बजाए इन्हें पुनः प्रधानाचार्य के पद पर बहाल कर दिया गया।
मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि अवगत कराना चाहते हैं कि हमेशा की तरह दोषी पर कार्यवाही ना करके जातीय विद्वेष की भावना से मेडिकल कॉलेज के 02 दलित कर्मचारी अतुल कुमार एवं संजय सिंह निलंबित कर दिया गया था। जबकि इन दोनों कर्मचारियों के निलंबन पर हाई कोर्ट ने स्टेय कर दिया है लेकिन अभी तक उनको बहाल नही किया गया। उत्तर प्रदेश में दलित कर्मचारियों, अधिकारियों व आम दलितों के साथ भेदभाव एवं उत्पीड़न चरम पर है। जबकि वहीं जांच आख्या में दोषी पाए गए मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य अरविंद त्रिवेदी (जो तत्कालीन क्रय समिति में अध्यक्ष होने के साथ साथ संस्था प्रमुख भी थे) को पुनः बहाल कर दिया गया है।
असपा सुप्रीमो ने कहा कि महामारी के इस भीषण आपदा में वित्तीय अनियमितता के दोषी व गैर जिम्मेदार प्रधानाचार्य की बहाली मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। क्या शासन को कोई दूसरा योग्य एवं ईमानदार प्रधानाचार्य डॉक्टर नहीं मिल रहा है? सत्य यह भी है कि पूरे उत्तर प्रदेश की तरह सहारनपुर में भी कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या अधिक होने ज बावजूद कम दिखाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय, आप हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के कसीदे पढ़ते रहते हैं। यह आमजन के जिंदगी से जुड़ा हुआ बहुत ही संवेदनशील मामला है। उम्मीद है कि आप इस मसले पर तत्काल संज्ञान लेंगे एवं दोषी प्रधानाचार्य की बहाली रद्द कर अन्य आवश्यक विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।