भागलपुर ब्लास्ट के पीछे मुसलमान को ढूँढता मीडिया, पत्रकार ने बताया कि चैनल ने किस तरह…

संतोष सिंह

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

कल एक राष्ट्रवादी चैनल के सीनियर पत्रकार का दिल्ली से फोन आया संतोष जी ये जो भागलपुर में जो घटना घटी है क्या उस इलाके में मुसलमान भी मंडल लिखता है क्या, मैंने कहा नहीं जिसके यहां धमाका हुआ है उसके यहां 1999, 2002 और 2007 में भी धमाका हुआ चुका है ,भागलपुर में गंगौता एक जाति है जो इस तरह के काम में वर्षो से लगा हुआ है ठीक है संतोष जी फिर बात करते हैं।

सुबह से ही इस खबर पर बने हुए थे आंफिस पहुंचते पहुंचते मरने वालो की संख्या बढ़कर 14 हो गयी थी। विधानसभा पहुंचे तो देखते हैं रिजनल और राष्ट्रीय चैनल का ओबी वैन और बैकपैक यही है बात हुई तो पता चला कि भागलपुर जाने को लेकर आंफिस से अभी तक कोई आदेश नहीं आया है विधानसभा में भी इस घटना को लेकर कोई हलचल नहीं था।

मैं हैरान था इतनी बड़ी घटना हो गयी है और चारों और खामोशी छाई हुई है। शाम चार बजे डीजीपी इस घटना को लेकर पीसी किये वहां भी मौजूद पत्रकारों में कोई हलचल नहीं था। डीजीपी भी रुटीन घटना की तरह आये और मीडिया को संबोधित करके चले गये कोई ऐसा सवाल नहीं किया जिससे डीजीपी असहज होते।इतनी बड़ी घटना और डीजीपी के पास कहने के लिए इतना ही था कि थाना अध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है एफएसएल की टीम को भागलपुर भेजा गया है और जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है।

इसी दौरान खबर आयी की मोदी जी इस घटना को लेकर नीतीश जी से बात किये हैं हालांकि उससे पहले पीएम का इस घटना को लेकर ट्वीट भी आ गया था। देर शाम फिर दिल्ली से फोन आया संतोष जी ये तो समझ में आया कि पटाखा बनाने वाला हिन्दू था लेकिन जो इलाका है वो इलाका तो पूरी तौर पर मुसलमानों का इलाका है । कहाँ जा रहा है मरने वाले में एक मुसलमान है जिसको लेकर पुलिस चुप है।

वही उस इलाके में एक मात्र यही हिन्दू परिवार वहां रहता था और जिस मकान में किराया पर रहता था वो भी मुसलमान का ही है। मैंने कहा आपकी जानकारी सही है लेकिन यह परिवार पुराना पटाखा कारोबारी है। लेकिन एक बड़ा सवाल है आप लोग दिल्ली में है उठाना चाहिए था इतना बड़ा विस्फोट हुआ है एनआईए अभी तक नहीं पहुंचा है जबकि भागलपुर में आये दिन इस तरह की घटनाएं घटती रहती है पहले भी यहां हिन्दू मुसलमान के बीच बड़ा दंगा हो चुका है। वही पटाखा बनाने में बारूद का इस्तेमाल होता है लेकिन विस्फोट बता रहा है कि बारूद के साथ कोई ना कोई ऐसा शक्तिशाली पदार्थ मिलाया गया था जिसके कारण इतना बड़ा नुकसान हुआ है।

ठीक है संतोष फिर बात करते हैं और उसके बाद वो फोन रख दिये सुबह अखबार में भी ऐसा नहीं लग रहा है कि बिहार में 14 लोगों की मौत हो गयी है ।सोशल मीडिया का भी यही हाल था लग ही नहीं रहा था कि बिहार में 14 लोगों की मौत हुई है।जबकि भागलपुर में इससे पहले टिफिन बम बरामद हो चुका है ,केमिकल बम बरामद हो चुका है आये दिन अलग अलग तरह का बम बरामद होता रहता है जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।

मतलब घटना के पीछे अगर हिन्दू मुसलमान का एंगल है तो खबर है नहीं है तो खबर नहीं है ,चाहे कितनी भी बड़ी घटना क्यों नहीं घट जाये । यह मानसिकता 2014 के बाद मीडिया में काफी तेजी से पनपा है वजह जो भी हो लेकिन यह साफ है कि मीडिया के इस मानसिकता का नुकसान आम लोगों को ही उठाना पड़ेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह टिप्पणी उनके फेसबुक वाल से ली गई है)