कोलकाता: पश्चिम बंगाल पुलिस ने छात्र कार्यकर्ता अनीस खान की रहस्यमयी मौत के मामले में अमता थाना प्रभारी देवव्रत चक्रवर्ती को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चक्रवर्ती से अनिश्चितकालीन अवधि के लिए छुट्टी पर जाने को कहा गया है, जो सनसनीखेज घटना के सामने आने के बाद से ही जांच के घेरे में थे। उन पर दंडात्मक कार्रवाई तब की गई जब एसआईटी ने चक्रवर्ती को दो बार तलब किया और उनसे इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) कार्यकर्ता अनीस खान (28) की मौत के बारे में पूछताछ की।
एक अन्य घटनाक्रम में उलुबेरिया की जिला अदालत ने गुरुवार को दो संदिग्धों होमगार्ड काशीनाथ बेरा और नागरिक स्वयंसेवक प्रीतम भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर दो सप्ताह की जेल हिरासत में भेज दिया। जेल वैन से अदालत ले जाये जाते समय दोनों आरोपियों ने संवाददाताओं से कहा कि वे थाना प्रभारी के निर्देश पर अनीस खान के घर गए थे। दोनों ने दावा किया कि वे निर्दोष है और उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कल यह भी निर्देश दिया कि एक जिला न्यायाधीश की निगरानी में अनीस के शव को अदालत की निगरानी में दूसरे शव परीक्षण के लिए कब्र से निकाला जाए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जल्द ही अदालत और एसआईटी तथा साथ ही पीड़ित के परिवार को भी सौंपी जाये। अदालत ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया जिसके बाद न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने आदेश दिया कि जिला न्यायाधीश जांच के लिए खान के मोबाइल फोन को अपने कब्जे में लें। पीड़ित खान के परिवर ने एसआईटी को मोबाइल फोन सुपुर्द करने से इन्कार कर दिया।
अनीस खान के पिता सलेम खान और उनके बड़े बेटे साबिर खान केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें एसआईटी जांच पर भरोसा नहीं है। पीड़ित के परिजनों ने कहा, “हमें एसआईटी जांच पर भरोसा नहीं है और अगर जरूरत पड़ी तो हम ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।”
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा कि एसआईटी मामले की जांच कर रही है और दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखेगी। न्यायाधीश ने एसआईटी को सुनवाई की अगली तारीख तक जांच रिपोर्ट अदालत को सौंपने को कहा।
अनीस की हत्या का आरोप लगाते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास भट्टाचार्य ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि पीड़ित के साथ चार लोगों ने “बेरहमी से मारपीट” की थी, जिनमें से एक पुलिस वर्दीधारी भी शामिल था और अन्य तीन नागरिक पुलिस की वर्दी में थे।
अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि छात्र नेता को उसके अमता आवास पर दूसरी मंजिल से नीचे धक्का दिया गया था।