उत्तर प्रदेश में विधानसभा की तैयारी में जुटी भाजपा मुस्लिमों को साधने की कोशिश कर रही है। अल्पसंख्यक मोर्चा के सहारे भाजपा मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ रही है। मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने का अभियान तेज़ी से चलाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक अल्पसंख्यक मोर्चा का गठन किया गया, जिसमें सबसे ज्यादा तरजीह मुसलमानों को दी गई है।
प्रदेश कमेटी में 21, पश्चिमी क्षेत्र में 23 और जनपद की गठित टीम में 27 मुस्लिम पदाधिकारियों को जगह दी गई है। कमेटी में महिलाओं को भी शामिल किया गया है। प्रदेश, क्षेत्रीय और जनपद की टीम में चार महिलाओं को पदाधिकारी बनाया गया है।
जानकारी के लिये बता दें कि पिछले दिनों भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा की ज़िम्मेदारी कुंवर बासित अली को सौंपी थी। इसके बाद बासित अली ने अपनी कमेटी का विस्तार किया। कमेटी में 26 कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनाया गया, जिसमें 21 मुस्लिमों को जगह दी गई। इसमें दो जैन और तीन पदाधिकारी सिख समाज से जोड़े गए। प्रदेश कमेटी में एक भी कार्यकर्ता मेरठ से नहीं लिया गया, जबकि माना जा रहा था कि अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष होने की मार्फत मेरठ के कार्यकर्ताओं को अधिक तवज्जो दी जाएगी। इस सवाल पर बासित अली कहते हैं कि यूपी में 75 जिले हैं, चूंकि प्रदेश अध्यक्ष खुद मेरठ से हैं इसलिये तमाम जनपदों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए कमेटी गठित की गई है। 12 अगस्त को क्षेत्रीय कमेटी की घोषणा की गई। इसमें भी मुस्लिमों को सबसे ज्यादा जगह दी गई, 31 नामों की इस सूची में 23 मुस्लिमों को पद से नवाजा गया। बासित का कहना है कि प्रदेश अल्पसंखयक कमेटी में 60 प्रतिशत ओबीसी, दो जैन, एक ईसाई और दो सिक्ख शामिल हैं, वहीं 11 ओबीसी को पदाधिकारी नियुक्त किया है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बताते हैं कि कार्यकारणी में समाजिक भागीदारी का पूरा ख्याल रखा गया है। आबादी के अनुपात से ही कार्यकारणी बनाई गई है, जिसमें जैन और सिख समाज से दो-दो कार्यकर्ताओं को लिया गया। अब जिले की कमेटी का गठन किया गया है। जिलाध्यक्ष नईम तोमर द्वारा बनाई गई टीम में भी 27 मुस्लिमों को कमेटी में लिया गया। इसमें दो जैन और एक सिख समाज से लिया गया। जिस तरह से अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ रहा है और कमेटी में जगह दे रहा है, इससे भाजपा मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने का साफ संदेश दे रही है।
किस ओर जाएं मुसलमान
उत्तर प्रदेश में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पर कुंवर बासित अली को नियुक्त जरूर किया गया है लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम पशोपेश में है कि वह कहां जाए। एक तरफ सपा, रालोद, बसपा मुस्लिमों की हितैषी होने का दंभ भरती रही हैं, तो दूसरी ओर भाजपा भी मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ रही है। उधर एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रदेश में लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। बिहार और पश्चिमी बंगाल के बाद अब ओवैसी यूपी में अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं और अब यूपी में अपनी उपस्थिती दर्ज कराना चाहते हैं। हालांकि बंगाल चुनाव में ओवैसी की पार्टी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई, बंगाल में पार्टी का खाता भी नहीं खोल पाई, जबकि नवबंर 2020 में बिहार चुनाव में पांच सीटें जीतने वाली ओवैसी की पार्टी को बंगाल में और अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीदें थी। इसके बावजूद ओवैसी यूपी के मुसलमानों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
महिलाओं को भी दी गई ज़िम्मेदारी
अल्पसंख्यक मोर्चा की कार्यकारणी में मुस्लिम महिलाओं को भी ज़िम्मेदारी दी गई है। प्रदेश कमेटी में नेहा खान और फरहा नाज़ को ही जगह दी गई, जबकि क्षेत्रीय कमेटी में अमृता रंधावा और जिला कमेटी टीम में फिरदौस कुरैशी को पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। महिलाओं को कम संख्या के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि प्रदेश की कार्यकारणी में दो महिलाएं, क्षेत्रीय कार्यकारणी में दो-दो महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह ज़िम्मेदारी महिलाओं की राजनीति में सक्रियता के आधार पर ही दी गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली कहते हैं कि “मुस्लिम संख्या में ज्यादा है, सिक्खों और ईसाई की तुलना में मस्लिमों की हिस्सेदारी अधिक है। जहां सिक्ख अधिक संख्या में हैं उनको ध्यान में रखा गया है। भाजपा ही मुस्लिमों की हितैषी है, इसी कारण मुस्लिम भाजपा में अपना भविष्य तलाश रहा है। भाजपा के अलावा मुस्लिमों का कोई हितैषी भी नहीं है।”